Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 48
________________ (१७) नरेय कथीर तो ॥ ॥ कालो अधिक बिहामणो ए, हूंमक जे संस्थान तो ॥ दीशे दीन दयामणो ए, व ली अ संहारे प्राण तो ॥ ५ ॥ ॥ ढाल बही॥ ॥ इणिपरें बहु वेदन सही ॥ चित चेतो रे ॥ व सतां नरक मजार ॥ चतुर चित्त चेतो रे ॥झानविना जाणे नहीं ॥ चि० ॥ कहेतां नावे पार ॥ च ॥१॥ दशदृष्टांतें दोहिलो ॥ चि० ॥ लाधो नरनव सार ॥ च ॥ पामी एने म हारजो ॥ चि० ॥ करजो एह विचार ॥ च ॥ २ ॥ सूधो संयम आदरो ॥ चि॥ टालो विषयविकार ॥ च ॥ पांचे इंशी वश करो। चि ॥ जिम होये बूटक बार ॥ च ॥३॥ निश विकथा परिहरो ॥ चि॥ आराधो जिनधर्म ॥च॥ समकेत रत्न हैये धरो ॥ चि॥ नांजे मिथ्या नरम ॥ च ॥४॥ वीर जिणंद पसानले ॥ चि० ॥ अहि पुर नगर मोजार ॥ च ॥ तवन रच्युं रजीयाम' ॥ चि०॥ परमकृपाल उदार ॥ च० ॥५॥ ॥इति नारकीनुं षटढालीयुं समाप्त ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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