Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(४०) टा, चंजसा नमी ना॥ चंजसारा मेराने दिसी, आवे हरख उमाई ॥रा० ॥६० ॥ युह लडाश्नी वा तज करता, लडता होडाहोडी।लोकां रे मन अचरि ज आयो, कांड कीयो ण मोडी ॥रा० ॥ ६१ ॥ यु ६ मटावी मेल कराव्यो, घणा लोक दूवा राजी॥घ एगा जणारा माथा पडतां, राख्या ण माजी ॥ रा० ॥ ६ ॥ जलो होजो इण माता केरो, जस ली धुं जगमांहि ॥ राजा नमराव कुशलज दूवा, घरघर रंग वधाइ॥रा० ॥६३॥ राजकचेरीयें अावी बेगा, चं
जसा नमीना॥ चंजसा सुख थयुं जाणीने, वे रागें मन आ॥ रा० ॥ ६४ ॥ चंजसा तो कहे ने मीने, राज्य करो थे नाइ॥ मुने तो अब दीदा लेगदे, ए दोनुं राज्य जलाइ॥रा ॥६५॥ नमी कहे मुने दीदा लेण्यो, आप राज्य करो महारायो॥ राजपा ट रि६ि सदु संपद, मेंतो थाने जलायो ॥ रा० ॥ ॥ ६६ ॥ चंजसा तो दीक्षा लीधी, हर्ष हैये नवी मावे ॥नाइ विलून पुःखनुं लहेरो,नमीय रायने आवें ॥रा ॥ ६७ ॥ नमीय राजातो राज्य करे ,राणी एकशोंने आगे ॥ पडे नाटो कददुवे कारो,दोनुं राजा रो पाटो ॥रा० ॥ ६७ ॥ दाहज्वरना योगेंकरीने,
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