Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 17
________________ (१६) तिहारे लाल,केवलधर अणगार ॥ सुखकारी रे ॥राजा पूले रंगशुं रे लाल,कहो मुफ एक विचार ॥सु॥१॥ शील तणो महिमा सुणो रे लाल॥यांकणी॥ श्रीपति शेठ वसे श्हां रे लाल, कामलता शहां जाण ॥सु॥ कठियारो कान्हड अड़े रे लाल, लेखे मुझने या ण ॥ सु० ॥ २ ॥ शी० ॥ मुनिवर आगल नाखि योरे लाल, चारे तणो अवदात ॥ सु० ॥ चारमाहे अधिको किस्यो रे लाल, महीपति पूजे वात ॥ सुरु ॥३॥ शो० ॥ चारे ए महिमा निला रे लाल, चा ए चतुर सुजाण ॥सु॥णमें अधिको कान्हडो रे. ल, राखी व्रतनी काण ॥ सु० ॥४॥शी॥ मूक्या सोनैया पांचशे रे लाल, मूक्यो गणिकानोग ॥ सुप ॥ धन कठियारो कान्हजी रे लाल, सद्य सराहे लो क॥सु० ॥ ५॥ शी० ॥ धन धन लोक कान्हड क हे रे लाल, धन कहें नगर नरेश ॥ सु० ॥ शील त पी जिण बारवडी रेलाल, पाली यौवन वेश ॥ सु० ॥ ६ ॥ शी० ॥ तीरथ शेजो वडो रे लाल, मंत्र व डो नवकार ॥सु॥ नदियामांहि मंदाकिनी रेलाल, व्रतमाहे विचार ॥ सु० ॥ ७ ॥ शी० ॥ शील तणो महिमा सुणी रे लाल,हरव्या राणो राण ॥ सु०॥ध Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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