Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 23
________________ (२३) ॥ १ ॥ राजवीयांने राज पियारो, नाइ वेद्यो प्या रो ॥ ए आंकणी॥ मणिरथराजा केरो सुणजो, यु गबाहुने मास्यो ॥ आप मूने राज गमायुं, हाथें कडं अन आयो ॥राज ॥२॥ रावण राजा पहेलो दर्ड, पी पदमोत्तर रायो॥त्रीजी कथा मणिरथ राजानी, ते सुजो चित्त लायो॥राज ॥३॥ जंबूदीप जरत खेतरमा, नगर सुदंसण नारी ॥धना पूरण देखतां सुंदर, रैयत सुखी राजारी ॥रा॥॥ मणिरथ राजा धारणी राणि, रिक्षितणो विस्तारो ॥ हाथी घोडा र थ पायक सेना, थाकतो चोथो आरो॥रा ॥ ५॥ स्वचकनें परचक्रनो, विरोध नहीं तेगिवारो ॥ मणिर थराजाने युगबादु नाइ, मांहो मांहे बे प्यारो ॥ रा० ॥ ६ ॥ पंचेंडीना नोग जोगवता, नाटिक रयणि दि हाडे ॥ विविध प्रकारनी क्रीडा करता, विषय विरु हवे पाडे ॥ ७ ॥ मगिरथ राजा राज करंतां, चडीयो महेल उदारो ॥ तेणे अवसर मयणरेहा दीती, युगबा दुनी नारो॥रा ॥ ७॥ रूप देखीने अचरज पाम्यो, अहो अहोरूष अपारो ॥ण राणीने महोलमांरा, सुख विलगुं संसारो ॥रा ॥ ए ॥ मणिरथ राजाक री मनसुबो, युगबादुनें बोलायो॥करो सजाइ आयुध हाडे विना नोग नाही माहे के प्यार Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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