Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(२०)
यण व्यंतरी ॥ म ॥ नूत प्रेत वेताल ॥ला ॥ शील तणा परनावथी॥म ॥ श्रावी नमे ततकाल ॥ ला० ॥३॥ शूली सिंहासण थ६ ॥ म ॥ शेठ सुदर्शन जोय ॥ ला० ॥ शील तणा परजावथी॥ म० ॥रान वेलानत होय ॥ला ॥ ४ ॥ कान्हड साधु तणी पेरें ॥ म ॥ नवियण पालो शील ॥ सा ॥ण नव सुख संपद मिले ॥ म ॥ पर नव अधिकी लील ॥ला ॥ ५॥ नगर नलु पदमावती ॥ म० ॥ मरुधर देश मकार ॥ला ॥ धर्मनाथ पर सादथी॥म०॥ पूजा सत्तर प्रकार ला॥६॥ वडा वसे व्यवहारीया ॥ म० ॥धन करि धनद समान ॥ ला॥ ख्यागी त्यागी बहुगुणी ॥म ॥ दे षट दरि सण दान ॥ सा ॥ ७ ॥ सत्तरेशे तालीसमे ॥ म ॥ तिहां कीधो चन मास ॥ ला० ॥ सशुरुना परसादथी। म०॥ पूगी मननी आश ॥ ला॥॥ श्रीतपगन गुरु राजीयों ॥ म ॥ श्रीविजयप्रन सूरिं द ॥ला॥ तस गबगगन दिवाकरु ॥ म० ॥ श्री विजयरत्न मुणिंद ॥ सा॥॥ तस गबमें महिमा नि । लो॥म ॥ श्रीजयसागर उवष्नाय ॥ ला ॥ तास शिष्य शोनाकरु ॥ म० ॥ जितसागर गणिराय ॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/5649e9feeb4541b0ffadd6fa6e21304ea719dce174e11662f10379523a0ee909.jpg)
Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50