Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 30
________________ ( ए) करमोने सारो ॥ रा ॥ ६३॥ कोमलकाया कारण पडियो, पाय पडे नही गयो ॥ कुंअर तो राणी नि नतो न जाण्यो, बाल मेल्यो रणमायो ॥ रा॥६॥ चीर बिना सिला उपर सुवाज्यो, बाल विडोहो जा एयो॥ होणहार थारो होसे जाया,मयणरेदाःख था एयो ॥रा ॥ ६५ ॥ घणा दासने दासी दूती, राज कुमरनी धायो ॥ दोडी पडदामाहे रहेती, राणी ए कली जायो ॥रा ॥ ६६ ॥ कुंअर मेलीने आगे चाली, अन्न विण सूनी काया ॥ कठे सुवावड कुण मंगल गावे, कर्मे चेंन दीखाया ॥रा०॥६७॥ जाता जाता आगे नदी आइ, वस्त्र पाणीमें पखाव्या ॥ स्नान करीने तीरे बेठी, कुःख करे मयगरेहाला ॥ रा० ॥ ६॥ कोण वियोग पडीयोहो माने, किसे ते काणे बा३॥ रणमां रोती एकली बेठी, रोवे वि ललाइ ॥ रा ॥ ६ ॥ किणघर जन्मी किणघर या ३, राजानी राणी कहा ॥ साहेब महारोमू मेव्यो, रण रोश्में आई॥ राम् ॥ ७० ॥ पडियो विडोदोमा त पितारो, जगवन्नन लघु नाइ ॥ चंजसाने महो समां मेव्यो, बालक के रणमांही ॥रा ॥ ७१ ॥ महेल जरोखा शोने जाली, राजवीयां रुसना ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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