Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 35
________________ (३४) ३॥ रणमां बालक सूतो दीठो, पद्मोत्तर राजी हो ॥रा० ॥ ७ ॥ बालक देखी राजा आव्यो, रूप जो ३ अचरिज पायो ॥ बालकतो कोई पुण्यवंत दीसे, राजाने मन नायो ॥रा ॥ ७ ॥ देखो पुण्याइ रा जा केरी, नरम नही मनमायो । वस्तुप्राप्ति पुण्य प्रमाणे, कुंअर राजायें पायो ॥ रा ॥ ए॥ महारा राज्यमां पुत्र नही बे, एतो सहेजे आयो॥ इण बा लकने उरो लश्ने, सोंपुं राणीने जायो ॥ रा॥१०॥ कुमर उचाली राजा पाडो, यो निज दरबारो ॥ पटराणी पुफचूला तेडी, पुत्र दीयो देवकुमारो॥रा० ॥ ११ ॥ नव मसवाडा नारे मरती, देवी पीतर म नायो । आपणा पूरव पुण्ये करीने,कुमर सहेजे आ यो ॥ रा० १२ ॥ आपणा राजमां पुत्र नही , करो गरी प्रतिपालो ॥ राज्य लायक कुंधरज दी शे, होसे रैयत रखवालो ॥ रा० ॥१३॥ नारी न लवणी दश राणीने, कुमरज खोले घाव्या ॥ पुण्यवंत कुमर घर आयो पीछे, नूम्या नमीने चाल्या ॥ राम ॥ १५ ॥ जे नूम्याथी अतिही बीहीता, कुंअर राजा रे आयो ॥ नूम्या आवी चाकरी लागा, नमी नाम देवराव्यो ॥ राम् ॥ १५ ॥ नमी कुमरतो वधतो रा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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