Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 16
________________ (१५) ज ॥ ए सोनइयां पांचरों, माहारां बे महाराज ॥ १६ ॥ ॥ ढाल ॥ बी ए ढाल विशाल रे, विशाल रे, सुपतां कहे मान रसाल ॥ राग सोरठ यत्तिनी देशी रे, जाणशी ते खरीय कलेशी ॥ १७ ॥ ॥ दोहा सोरडी ॥ ॥ राजी दूवो राय, लोक सहु राजी हुआ ॥ श्री पति तेडा जाय, अधिपति केरा आदमी ॥ १ ॥ प्रवि पधिपति पास, श्रीपति शेठ इश्यो कहे ॥ में दीधी धन रासे, इस कठियारा कान्हने ॥ २ ॥ न कठियारो का ★ लायो चंदन बावनो । दोय टका उनमान, दीधा चाकर माहरे || ३ || में विगतावी वात, एतो चंदन बावनो । एहनुं मूल्य प्रख्यात, दिया सोनैया पांचशें ॥ ४ ॥ बे मुऊ गुरुनी आण, अधिक न लीयुं पार कुं ॥ ए उत्तम अहिना, खाटा लूप तिसी परें ॥ ५ ॥ अधिपति नाखें ग्राम, ए सोनैया पांचों ॥ को नहि माहरे काम, सांजलजो सहुको सना ॥ ६ ॥ सोनइया सो पंच, कान्हडने दीधा परा ॥ एहनो एहिज संच, खरा कमाया कान्हडा ॥ ७ ॥ ॥ ढाल सातमी ॥ ॥ मेरो प्यारो रे ॥ ए देशी | इस अवसर याव्या Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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