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(१३) मोगुं न वि सीधुं काजरे लाल ॥ए निरमाल लीयां न हिं, माहरे घर एहवं राज रे लाल ॥ध० ॥१॥रा जन रूडां राखजो, धन युं बुं सदुनी साख रे लाल ॥ ए धन आवे रावले, एहवीं लोक तणी जे नाख रे लाल ॥ध०॥१३॥ पांचमी ढाल सुहामणी, राजाने दीधा दाम रेलाल ॥ मानसागर कहे ागलें, हवे कुण कुण होसे काम रे लाल ॥ध० ॥१४॥
॥दोहा ॥ ॥पुरमें पडह वजडावीयो,लश्सदुकोनां नाम ॥का मलता वेश्या घरे,कुण मूकी गयो दाम ॥१॥ गलियां गलियां गुंजतां, मलिया माणस थोक ॥ शेरी शेरी सांनव्यो, को न बोले लोक ॥ ५ ॥ चढुटा विच वा जे पडह,ले सदुकोनां नाम ॥ कान्हड कठियारो कहे, ए तो महारां दाम ॥ ३ ॥ आगें ननो आयने, एह वी नाखे नाख ॥ ए दमडा डे माहरा, एवी झुं बु शा ख ॥ ४ ॥ कटियारानो करग्रही, आण्यो राय हजूर ॥अधिपति दीठो आवतो, एतो वडो मजूर ॥५॥रा य पूढे कान्हड प्रत्ये, तें जोड्यो किम दाम ॥ कठिया रो कान्हड कहे, थें सुजो मुफ स्वाम॥ वीतक वात
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