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रेलाल ॥ध ॥ ३॥ पहोर घडीने यांतरे, पाणी नरि जारी साहि रे साल ॥ ननी जोवे वाटडी,कान्हड न आयो घरमांहि रे लाल ॥ध॥॥ब खानानी पाखती,ननी तिहांकरती हास रे लाल॥साद दिये सा ने करि, विच करती खोखाराखास रेलाल ध॥५॥ ध०॥ दीवो आयो दोडीने, तिण जोवे वेश्या वास रेलाल ॥ खबर नलाधी कान्हनी,मूकी गयो धननी राशि रे लाल ॥ ध० ॥ ६ ॥रात ग रवि नगियो, सदु मलिया राणो राण रेलाल ॥ वात जिकां का न्हड तणी, कहि मामी चतुर सुजाण रेलाल ॥ध० ॥ ७ ॥ वेश्या कहे वित्त पारकुं, दुतो राखुं नहिं ति ल मात रे लाल ॥ खरी कमाइ स्वादनी, महारे तो लेवी विख्यात रे लाल ॥ध॥ ॥ गणिका कां पर धन तपो.लेवा लीधो ले नीम रेलाल ॥खरीय कमा ईपणी, तिणगुं नित्य राखे सीम रे लाल ॥ ए॥ वेश्या सदु टोलें मली, बाली नोली यौवन वेष रेला ल॥घरढी बूढी मोकरी,जश्नेट्यो नगर नरेश रे लाल ॥ १० ॥ कामलता वेश्या घरे, कठियारो कान्हड ना म रे लाल,सोनैया देश पांचशे, मूकी गयो किणही का म रे लाल ॥ध ॥ ११ ॥ सार न पूजी साहिबा,
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