Book Title: Kanhad Kathiyara tatha Mayanrehano Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 3
________________ (३) ॥ ढाल पहेली ॥ - ॥ देशी चोपाश्नी ॥ लाख जोयण जंबू परिमाण, दाहिण जरत पूरव दिशि जाण ॥ नयरी अयोध्या अतिहि प्रधान, अमरपुरी केरुं उपमान ॥ १ ॥को डि गमे कोटिध्वज जाण, लखपति कोइ न आणे झा न ॥ उंदाला कुंदाला साह, अवसर ले लखमीनो ला ह॥ ॥ देवल दंम नहिं नरलोय, तर्कविना किहां वाद न होय ॥वेणीबंधन नवि दीसे साव,मार वचन लोकें नवि चाव ॥ ३॥ दोय जिना पटियारे जोय, नगरमांहे नवि दीसे कोय ॥ धनना कोई न दीसे चो र, मनना चोर वसे ने जोर ॥ ४ ॥ सोहे चोरासी चोहटा, राजनवन घूमें गजघटा ॥ वापी कूप सरोव र सार, वन वाडी नवि ला पार ॥ ५॥ जोगी नम र अछे सदु कोय, तो पण पग मांमे के जोय ॥ पर नारीयुं न करे प्रीत, चाले उत्तम कुलनी रीत ॥ ६ ॥ षट्दर्शन मन एहिज वात, म करो परजन केरी ता त॥ दान शील तप नावन सार, गलॅ राखे नित व्यवहार ॥ ७ ॥ समकितमूल बारह व्रत धरे, परव दिवस पोसह अणुसरे ॥ तीन तत्त्व सूधां सईहे, जि गवर आण अखंमित वहे ॥ ॥ राज करे कीरति Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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