Book Title: Kalpasutram Part_2 Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot View full book textPage 5
________________ Jain Education Inter 變 कल्पसूत्र की विषयानुक्रमणिका विषयांक: विषयांक: १ भगवान के जन्मकाल का वर्णन २ मेघङ्करादि दिक्कुमारियों का आगमन ३ शक्रेद्र के आसन का कंपित होना और भगवान के दर्शनार्थ उसका आना ४ भगवान् के दर्शनार्थ आते हुए देवों का वर्णन पृष्ठाङ्कः १-१४ १५-२० २१-२५ २६-३१ ५ भगवान् के जन्ममहोत्सव के लिये भगवान को लेकर शक्रेन्द्र का मेरु पर जाना ३२-४० ६ भगवान् को उत्संग में लेकर अभिषेक सिंहासन पर शक्रेन्द्र का बैठना ७ भगवान का जन्ममहोत्सव करने की इच्छावाले देवों के मनोभाव का वर्णन ८ देवों के आनन्द, आठ प्रकार के कलश, शक्रेन्द्र को चिंता और मेरुकंपन का वर्णन ४५-५० ९ मेरु के कंपन से भुवनत्रय में रहे हुवे जीवों को भय होना, शक्रेन्द्र की चिन्ता, कम्पन के कारण को जानना, प्रभु से ४१ ४२-४४ पृष्ठाङ्कः ५७-६३ रखकर अपने अपने स्थान पर जाना ११ सिद्धार्थने मनाया हुवा भगवान् के जन्ममहोत्सव का वर्णन ६४-७२ १२ त्रिशला द्वारा की गई पुत्र की प्रशंसा का वर्णन ७३-८३ १३ भगवान् के नामकरण का वर्णन ८४-९० ९१-९६ १४ भगवान् की बाल्यावस्था का वर्णन १५ भगवान् के कलाचार्य के समीप प्रस्थानका वर्णन और कलाचार्य का भगवान के आगमनकी प्रतीक्षा करना १६ भगवान् का कलाचार्य के समीप अध्ययन करने की अनुचितता का प्रतिपादन करना १०२ १७ भगवान् का कलाचार्य के पास जानाजानकर शक्रेन्द्र का आसन कम्पायमान होना, शक्रेन्द्र का ब्राह्मण रूप से आकर प्रश्न करके भगवान के सर्वशास्त्रज्ञ होने का प्रकाशन करना क्षमायाचना १० अच्युतेन्द्रादिकों से किये हुये अभिषेक का वर्णन, सर्व देवों का साथ त्रिशला महारानी के पास भगवान को Private & Perfonal Use Only '५१-५६ भगवान् के शन्द्र के ९२-१०१ १०१-१०४ १८ भगवान् को सर्वशास्त्राभिज्ञ जानकर कला चार्यादिकों का परम आनन्दित होना १०५ - १०६ १९ इन्द्र द्वारा किये गये प्रश्नों का उत्तर सुनकर लोगों का और कलाचार्य का आनन्दित होना १०७-१०८ elibrary.orgPage Navigation
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