Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Shantisagar
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

View full book text
Previous | Next

Page 178
________________ श्रीकल्पकौमुद्यां जिनान्तराणि ७क्षणे ॥१७२।। (मुणिसुब्वयस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स इक्कारस वाससयसहस्साई चउरासीई वाससहस्साई नव वाससयाई वइकताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ) मुनिसुव्रतनिर्वाणाद्वर्षाणां षड्मिर्लक्ष मिनिर्वाणं, ततः पञ्चलक्षचतुरशीतिसहस्रनवशताशीत्यादि, अत्र मुनिसुव्रतनिर्वाणान्तरस्य नमिनिर्वाणपुस्तकवाचनाऽन्तरस्य च मीलने 'इक्कारस वाससयसहस्साई' इत्यादि सूत्रोक्तं मानं स्यात् , एवं सर्वत्र ज्ञेयम् , ॥१८५॥ (मल्लिस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स पण्णटिं वाससयसहस्साई चोरासीइं वाससहस्साई नव वाससयाई विइकंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ) मल्लिनिर्वाणाच्चतुप्पञ्चाशता लक्षमुनिसुव्रतनिर्वाणं, ततश्चैकादशलक्षचतुरशीतिसहस्रनवशताशीत्यादि, द्वयमीलने च 'पन्नदि वाससयसहस्साई' इत्यादि सूत्रोक्तम् ॥१८६॥ ___अरस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे वासकोडीसहस्से वइक्कंते सेसं जहा मल्लिस्स, त च एअं-पंचसहि लक्खा चउरासीई च वाससहस्सा वइकता, तम्मि समए महावीरो निव्वुओ, तओ परं नव वाससया वइकंता, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ, एवं अग्गओ जाव सेअंसो ताव दट्ठव्यं) अरनिर्वाणाद्वर्षाणां कोटिसहस्रेण मल्लिनिर्वाणं, ततश्च पञ्चषष्टिलक्षचतुरशीत्यादि, एवं अग्रतो यावच्छ्रेयांसस्ता वज्ज्ञेयम् ॥ १८७ ।। (कुंथुस्सणं अरहओ जाव सचदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागपलिओवभे वइकंते पंचसहिच सयसहस्सा, INSAHARANASIRAHATMLIMINASHMIRLAHILAIMAHARIHARITAMANELIOHAIRITALLAHILIBRARTHANA ॥१७२॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246