Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Shantisagar
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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श्रीकल्पकौमुद्यां ७क्षणे ॥१७६॥
श्रीजिनान्तराणि ऋषभचरित्रं च
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तेलक्षकोटियालीसवाससहरणासं सागरोवर
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(अजिअसस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस पण्णासं सागरोवमकोडिसयसहस्सा वइवंता, सेसं जहा सीअलस्स, तिवासअद्धनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं इच्चाइअं)। अजितनिर्वाणात्रिंशल्लक्षकोटिसागरैः सम्भवनिर्वाणं, ततस्त्रिवर्षेत्यादिन्यूनविंशतिलक्षकोटिसागरैर्वीरनिर्वाणमित्यादि । तथा ऋषभनिर्वाणात्पञ्चाशत्कोटिलक्षसागरैरजितनिर्वाणं, ततस्त्रिवर्षेत्यादिन्यूनपञ्चाशत्कोटिलक्षसागरैर्वीरनिर्वाणं, ततो नवशतेत्यादि ॥२०३ ॥ ___अथास्यामवसपिण्यां प्रथमं धर्मप्रवर्तकत्वेन परमोपकारित्वात् किञ्चिद्विस्तरतः श्रीऋषभदेवचरित्रमाह-तत्र
* तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमेणं अरहा (कोसलिए) कोशलायाम्-अयोध्यायां जातत्वात् , * चउत्तरासाढे | अभीइपंचमे होत्था ।।२०४॥ * तंजहा-उत्तरासाढाहिं चुए चइत्ता गब्भं वक्रते जाव अभीइणा परिनिव्वुडे ॥२०५॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमे अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे आसाढ-- बहुले, तस्स णं आसाढबहुलस्स चउत्थीपक्खेणं सव्वट्ठसिद्धाओ महाविमाणाओ तित्तीसंसागरोवमट्ठिहआओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेब जंबुद्दीवे२ भारहे वासे इक्खागभूमीए नाभिकुलगरस्स मरुदेवाए भारिआए पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि आहारवकतीए जाव गभत्ताए वकंते ॥२०६।।, तत्र उसमे णं अरहा कोसलिए तिण्णाणोवगए आवि होत्था, तंजहा-चइस्सामित्ति जाणइ जाच सुविणे पासइ, तं०-'गयवसह' गाहा ॥ सव्वं तहेव, नवरं (पढमं उसभं मुहेणं अइंतं पासइ) मरुदेवा प्रथमं मुखेन प्रविशन्तं वृषभं पश्यति, (सेसाओ)शेषजिनमातरस्तु(गय)गजं प्रथम, वीरमाता तु सिंहमपश्यत् *नाभिकुलगरस्स साहेइ, तदा * सुविणपाढगा नत्थि स्वप्नपाठकानामभावात् (नाभि-|
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|१७६।।
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