Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Shantisagar
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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I
श्रीकल्पकौमुद्यां ७क्षणे ॥१७५॥
श्रीजिनान्तराणि
अलस्स, तंच इम-तिवासअद्धनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिआ वइकता इच्चाइ) सुपार्श्वनिर्वाणानवशतकोटिसागरैश्चन्द्रप्रभनिर्वाणं, ततो नवशतेत्यादि ॥१९८।।
(पउमप्पहस्स णं० जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवमकोडिसहस्सा वइकंता तिवासअद्धनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं इच्चाइअं सेसं जहा सीअलस्स) पद्मप्रभनिर्वाणान्नवसहस्रकोटिसागरै/रनिर्वाणं ततो नवशतेत्यादि । १९९॥ | (सुमइस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स एगे सागरोवमकोडिसयसहस्से वक्ते, सेसं जहा सीअलस्स, तिवासअद्धनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं इच्चाइ) सुमतिनिर्वाणान्नवतिसहस्रसागरकोटिमिः | पद्मप्रभनिर्वाणं, ततत्रिवर्षेत्यादि न्यूनदशसहस्रसागरैर्वीरनिर्वाणमित्यादि ॥२०॥
(अभिनंदणस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवमकोडिसहस्सा वइकता, सेसं जहा सीअलस्स, तिवासअद्धनवमासाहिअयायालीसवाससहस्सेहिं इच्चाइअं) अभिनन्दननिर्वाणानवलक्षकोटिसागरैः सुमतिनिर्वाणं, ततस्त्रिवर्षेत्यादिन्यूनकलक्षकोटिसागरैर्वीरनिर्वाणमित्यादि ॥२०१।।
(संभवस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स वीसं सागरोवमकोडिसयसहस्सा वइक्कंता, सेसं जहा सीअलस्स-तिवासअद्धनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं इच्चाइ) सम्भवनिर्वाणाद् दशलक्षसागरकोटिमिरमिनन्दननिर्वाणं, ततत्रिवर्षेत्यादिन्यूनदशलक्षकोटिसागरैर्वीरनिर्वाणमित्यादि ।।२०२॥
MPARKARILAINITARIABADHANEPALI
ILIMITALISAIGuiltin
॥१७५॥

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