Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 10
________________ भी खत्म करना पड़े तो यह धरती खत्म की जा सकती है। धर्म की पुरानी किताबें कहा करती हैं कि भगवान शिव जब कभी अपना तीसरा नेत्र खोलते हैं तो धरती पर प्रलय मच जाया करता. है। पर मुझे लगता है कि अब भगवान को यह कष्ट उठाने की जरूरत न पड़ेगी। स्वयं आदमी ने ही प्रलय की आँख को उपलब्ध कर लिया है। हर देश ने, धरती के हर हिस्से ने मृत्यु के इतने इंतजाम कर लिए हैं कि अगर कोई भी देश अपने देश को खत्म करना चाहे तो एक बार नहीं अपितु दस बार खत्म कर सकता है। और अगर किसी और देश को खत्म करना चाहे तो एक बार नहीं अपितु सत्ताईस बार खत्म करने की क्षमता हर किसी देश को उपलब्ध हो चुकी है। हम जरा कल्पना करें, यदि पानी गर्म होता है तो सौ डिग्री सेल्सियस तापमान पर खौलने लगता है, भाप बनना शुरू हो जाता है। पानी भी हवा में उड़ने लगता है। वहीं पानी जो मात्र सौ डिग्री सेल्सियस तापमान पर ही भाप बनना शुरू हो जाता है और पच्चीस सौ डिग्री सेल्सियस तापमान पर लोहा भी भाप बन कर हवा में उड़ने लगता है। दुनिया में मात्र पच्चीस सौ डिग्री सेल्सियस का तापमान हो जाए तो लोहा भाप बन जाएगा। मैं सारी दुनिया से यह सवाल करना चाहूँगा कि अगर एक हाइड्रोजन बम विस्फोट किया जाए तो उस से दस करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान पैदा होता है। तब धरती पर आदमी तो क्या, मिट्टी भी नहीं बच पाएगी। अगर कहीं पर एक हाइड्रोजन बम का विस्फोट होता है तो दस करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान पैदा होता है यानि मात्र पच्चीस सौ डिग्री सेल्सियस पर लोहा भाप बन जाता है तो दस करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान पर तो हमारी राख भी कहीं दिखाई न देगी। सम्भव है, वह भी किसी विस्फोटक ज्वालामुखी का रूप धारण कर बैठे। आज दुनिया में जितने आँकड़े देखने को मिलते हैं उनमें मात्र पचास हजार से ज्यादा हाइड्रोजन बम तो केवल अमरीका और रूस के पास हैं। औरों की बात छोड़ दीजिए। जब केवल एक अणुबम गिराया ऐसे जिएँ मधुर जीवन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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