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का परिणाम दे। जीवन के प्रति रहने वाला विश्वास, जीवन के प्रति रहने वाला सकारात्मक नजरिया ही जीवन में जीवन का अमरत्व ढूँढ़ता है । आपकी उम्र अगर अस्सी वर्ष की हो चुकी है तब भी आप यह न सोचें कि आने वाला कल आपकी मृत्यु का दिन होगा। हम आने वाले कल में भी जीवन को देखें । फिर चाहे शरीर गिर भी क्यों न जाए, लेकिन मृत्यु के बाद भी हम फिर से जीवन के फूल खिला लेंगे ।
मैंने अपने ही एक बुजुर्ग प्रोफेसर से पूछा था कि 'क्या आप अपनी अस्सी वर्ष की आयु में भी किताबें पढ़ते हैं?' वे कहने लगे, ‘ढलती उम्र में इसलिए किताब पढ़ रहा हूँ कि पता नहीं कब किस क्षण मृत्यु हो जाए? लेकिन मैं चाहता हूँ कि जब भी मृत्यु हो तो मृत्यु के समय भी मेरे साथ ज्ञान का संस्कार जीवित रहे, ताकि जब भी नई काया का निर्माण हो, वापस यह बीज फिर से पुष्पित और पल्लवित हो उठे'। मैंने उन्हें साधुवाद दिया कि आप भविष्य में भी ज्ञान का संस्कार चाहते हैं, आपकी यह सद्भावना आपको फिर-फिर ज्ञान के पुष्कर सरोवर में उतार लाएगी।
आज अगर इंसान की आँखों में झाँककर देखें तो पता लगेगा कि उसके लिए जीवन का मूल्य कम हुआ है और मृत्यु का मूल्य ज्यादा हुआ है। किसी की भी आँखों में झाँककर देखें तो सुख का सुकून कम और दुःख की त्रासदियाँ ज्यादा दिखाई देती हैं। बाहर से हँसता-खेलता दिखाई देने वाला हर चेहरा न जाने भीतर से कितना अधिक दुःख और पीड़ा का लावा लिए चल रहा है, यह तो उसकी अपनी ही आत्मा जाने। पर जितना मैं किसी की आँखों को पढ़ सकता हूँ, जितना किसी की आँखों में उतरकर उसके मन के रूपों को देख सकता हूँ, तब तक की ही बात कहूँगा कि आज इंसान के पास सुख कम हैं, दुःख ज्यादा हैं। अगर हजार आँखों को देखता हूँ तो बड़ी मुश्किल से सौ-पचास आँखें ही ऐसी मिलती हैं जिन में सुख का साया हो । जिन आँखों में सुख का स्वर्ग लहराता हो, ऐसी आँखें कम हैं । हर किसी की आँखों
ऐसे जिएँ मधुर जीवन
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