Book Title: Jivan Drushti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२ जीवन दृष्टि धर्म का चौकीदार : एक व्यक्ति ने बम्बई में मुझसे पूछा-महाराज, आप रोज प्रवचन देते हैं, हम रोज सुनते है. आप कहाँ तक प्रवचन देंगे. हम तो रोज सुनने के आदी हो गये. मैंने कहा - यह तो मेरी Moral Duty है. आपके घर पर रहने वाला कुत्ता जिसको आप आधी रोटी डालते हैं, वह भी आपका इतना वफादार चौकीदार कि जब भी कोई गलत व्यक्ति रात्रि में आ जाय तो कुत्ता भौंकेगा. जैसे ही घर का मालिक आ जाय तो चुप हो जायेगा. एक सामान्य पशु में भी इतना संस्कार होता हैं तो जो समाज हमारा पोषण करे, रक्षण करे, उस समाज के धर्म का रक्षण करना हमारा फर्ज होता है, साधु-संत आपके धर्म के चौकीदार है. तो मैंने भी प्रश्न करने वाले से कहा-एक घण्टा मुझे भी भौंक लेने दो. जिस दिन आपकी अन्तर आत्मा जाग्रत हो जाय, उसी दिन से भौंकना बन्द कर दूंगा. साधु अपने प्रवचन के द्वारा आपकी अन्तर आत्मा को जगाता है कि आप सावधान हो जाय. आपकी अन्तर आत्मा को कर्म रूपी चोर से खतरा पैदा हो रहा है. आप जागे या न जागे हमें (साधु को) तो भौंकना ही हैं. हमें अपनी Duty निभानी है. आपकी अन्तर आत्मा जब जग जाये तो कर्म रूपी चोर से फिर आपको क्या खतरा पैदा हो सकता हैं? आप स्वयं सावधान है तो फिर हमें फिजूल भौंकने की क्या आवश्यकता? आपकी अन्तर आत्मा को जगाने के लिए ही हमें भौंकना है. पर आप हैं कि जागते ही नहीं. For Private And Personal Use Only

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