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भारतीय संस्कृति में तप-साधना
तप साधना की आत्मा : तप, साधना का ओज है, शक्ति है. तप शून्य साधना खोखली है. तप, साधना की आत्मा है. साधना का विशाल प्रासाद तपस्या की ठोस बुनियाद पर ठहरा हुआ है. तप साधना की आधारभूमि है. साधना प्रणाली, चाहे वह पूर्व में विकसित हुई हो या पश्चिम में, हमेशा तप से ओतप्रोत रही है. जीवन जीने का वह निम्नतम सिद्धान्त भी, जो वैयक्तिक सुखों की उपलब्धि में ही जीवन की इतिश्री मान लेता है, तप शून्य नहीं हो सकता. यह सिद्धान्त भी इस मनोवैज्ञानिक तथ्य को स्वीकार करके चलता है कि वैयक्तिक जीवन में भी इच्छाओं का, वासनाओं का संघर्ष चलता रहता है और बुद्धि उनमें से किसी एक को चुनती है, जिसकी संतुष्टी की जाती है और यह संतुष्टि ही सुख की उपलब्धि का साधन बनती है.
लेकिन विचार पूर्वक देखें तो यहाँ भी त्याग-भावना मौजूद है, चाहे वह अल्पतम मात्रा में ही क्यों न हो. क्योंकि यहाँ भी बुद्धि की बात मानकर हमें संघर्षशील वासनाओं में से एक का त्याग तो करना ही होता है. त्याग की यह भावना ही तप है. दूसरी ओर तप का एक अर्थ होता है- प्रयत्न, प्रयास. इस अर्थ में भी यहाँ तप रहा हुआ है. क्योंकि वासना की पूर्ति भी बिना प्रयास के सम्भव नहीं है. लेकिन यह सब तो तप का निम्नतम रूप मात्र है. हमारा प्रयोजन तो यहाँ मात्र इतना ही है कि कोई भी जीवन प्रणाली या साधना-पद्धति तप-शून्य नहीं हो सकती है.
जहाँ तक भारतीय साधना पद्धतियों का प्रश्न है, उनमें से लगभग सभी का जन्म ‘तपस्या की गोद में हुआ है. वे उसी में पली एवं विकसित हुई हैं. यहाँ तो भौतिकवादी अजित केशकम्बली और नियतिवादी गोशालक भी तप-साधना में प्रवृत्त परिलक्षित होते हैं, फिर दूसरी विचारसरणियों में तप के महत्त्व पर तो शंका करने का प्रश्न ही नहीं उठता. हां, विभिन्न विचारसरणियों में तपस्या के लक्ष्य के सम्बन्ध में एवं तप के स्वरूप के सम्बन्ध में विचार-भेद हो सकता है, लेकिन उनमें उपस्थित तपस्या के तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता.
तप-साधना भारतीय संस्कृति का प्राण रही है. श्री भरतसिंह उपाध्याय के शब्दों में भारतीयसंस्कृति में “जो कुछ भी शाश्वत है, जो कुछ भी उदात्त एवं महत्त्वपूर्ण तत्त्व है, वह सब तपस्या से भी सम्भूत है. तपस्या से ही इस राष्ट्र का बल या ओज उत्पन्न हुआ है. तपस्या भारतीयदर्शन-शास्त्र की ही नहीं किन्तु उसके समस्त इतिहास की प्रस्तावना है. प्रत्येक साधना प्रणाली वह आध्यात्मिक हो, चाहे भौतिक, सभी तपस्या की भावना से अनुप्राणित है.
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