Book Title: Jivan Drushti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 88
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७७ ध्यान और साधना साधक को संसार में कदम-कदम पर सावधान रहना है. पता नहीं, कव क्रोध का कोई निमित्त मिल जाये और मैं लुट जाऊँ-मेरी साधना लुट जाये. क्रोध की जरा-सी भी चिनगारी जीवन की सम्पूर्ण साधना को जलाकर राख कर सकती है; इसलिए अपनी मनोवृत्ति को सदा जागृत रखने की जरूर है. यदि बुखार में कभी आपके शरीर का तापमान बढ़कर १०४ या १०५ डिग्री तक पहुँच जाय और उसी समय आपका कोई घनिष्ट मित्र आपके सामने गुलाब जामुन, खोपरा पाक, रसगुल्ले आदि मिठाइयों की और सेव, चिवड़ा, समोसा आदि नमकीनों की प्लेट सजा कर कहे कि आज मेरा जन्म-दिन है-वर्ष गांठ है-खुशी का दिन है; इसलिए ये सव बड़े प्रेम से मैं आपके लिए लाया हूँ. आप इनका भोग लगाइये. तो क्या आप खायेंगे? क्या वह सब खाने की रूचि आप में उस समय होगी? बिल्कुल नहीं. यदि जवर्दस्ती खिलाने की कोशिश की तो आपको तत्काल उल्टी हो जायेगी. इस उपद्रव का एकमात्र कारण है-बुखार . यदि टेम्प्रेचर डाउन हो जाय-नॉर्मल हो जाय तो आपको भूख लगेगी-खाने में रूचि पैदा होगी और रूखी रोटी भी अत्यन्त स्वादिष्ट लगेगी. यही दशा आज हमारी है. यहाँ जो भी बैठे हैं, वे चाहे साधु-साध्वी हों या श्रावक-श्राविका हों, इतना हाई टेम्प्रेचर सवके भीतर भरा हुआ है कि मैं सदा अलग-अलग डिशों में उत्तम पुरुषों के योग्य उत्तम धर्म-भोजन परोस कर खाने का आग्रह करूँ तो आप इन्कार कर देंगे. मैं कहूँ कि मेरे पास त्याग है, तप है, पूजा है, ध्यान है, दान है, आराधना है, साधना है, सामायिक है, प्रतिक्रमण है, उपासना है, नाम-जप है, परोपकार है, उदारता है, सेवा है, विनय है... बहुत सी वेरायटीज हैं. मैं कहूँ कि आप इनमें से कोई भी अपनी रूचि का धर्म भोजन चुन लीजिये-स्वीकार कीजिये तो आप कहेंगे-“नहीं-नहीं महाराज, अभी नहीं. अभी इनमें से कुछ नहीं ले सकता." मैं समझता हूँ, यह वीमारी है. जव तक विषय-कपाय का टेम्प्रेचर डाउन नहीं होगा-स्वभाव शान्त नहीं होगा-नॉर्मल न होगा, तब तक प्रवचन के माध्यम से परोसी गई मेरी कोई सामग्री आपको नहीं रूचेगी. घर में आपने औरतों को रोटी सेंकते समय देखा होगा कि वे गर्म होने पर ही तवे पर रोटी डालती हैं. यदि रोटी के बदले गर्म तवे पर वे पानी के कुछ छींटे डाल दें तो क्या होगा? छुम्म की आवाज के साथ सब छींटे सूख कर गायव हो जायेंगे. आपके हृदय का टेम्प्रेचर भी उस तवे जैसा ही है. उस पर घन्टे भर तक प्रवचनामृत के छींटे भले ही डाले जायें, परन्तु ज्यों ही इस उपाश्रय से बाहर निकले त्यों ही छुम्म करके सव साफ हो जाता है. कुछ भी नहीं वचता. कुछ भी नहीं टिकता. For Private And Personal Use Only

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