Book Title: Jivan Drushti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 120
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०९ जीवन व्यवहार जीवन का उद्देश्य बन जाता है. जीवन रक्षण : हमें समर्पण की भूमिका प्राप्त करनी है. हम समर्पण की साधना भी निष्काम भावना से नहीं करते. उसमें भी प्राप्ति की आकांक्षा रखते हैं. Give and Take अर्थात् मैं तुझे देता हूँ, तू मुझे दे. शान्ति की कामना हम शब्दों से करें और मन विषय की और लगा रहे. भगवान से अपने लाभ की प्रार्थना करते हैं तो वहाँ भी हम भिखारी बन जाते हैं. प्रभु के द्वार पर जो निष्काम भाव से जायेगा वही भगवान् बनकर लौटेगा. पुण्य की निधि लेकर लौटेगा. परमात्मा के द्वार पर अपराधी बन कर जाये कि- हे भगवान् मैं तेरी शरण में आया हूँ और मुझे तेरे सिवाय कोई शरण नहीं दे सकता. तेरी शरण में आकर मैं निष्पाप बन जाऊँ यही मेरी कामना है. समर्पण का यह भाव ही आपको निर्भय कर देगा. सिंह जंगल का राजा है, उसे भय नहीं होता. सिंह के बालक ने जंगल में पहली बार अपने से कई गुना विशाल शरीर वाले हाथियों के झुण्ड को देखा तो भय से थर-थर कांपता हुआ सिंहनी की गोद में जा बैठा. माँ ने वालक को भयभीत देख कर कहा- अरे तूने मेरे दूध को भी लजा दिया. सिंह के बालक को डर कैसा? तेरा पिता इस जंगल का राजा है. तू अपने पिता को पुकार कर देख, वह जहाँ भी होंगे तेरी करूण पुकार सुन भागते आयेंगे और फिर तू देखना उनका चमत्कार. सिंह के बालक ने माँ की गोद में बैठ कर करूण विलाप किया तो पास ही कहीं जंगल में घूम रहे सिंह के कानों में उसकी पुकार आई. भला सिंह अपने बालक को कैसे संकट में देख सकता? तुरन्त दौड़ा उसके रक्षण के लिए बालक के पास में आते ही सिंह को वस्तुस्थिति का पता चल गया कि मेरा बालक क्यों चिल्लाया है. सिंह ने तुरन्त ही जंगल को कंपा देने वाली भयंकर गर्जना की कि विशालकाय हाथियों का झुण्ड वहाँ से जान बचा कर भाग निकला. इसी तरह परम पिता परमात्मा भी आपका रक्षण करेगा, पर आपकी पुकार में वेदना होनी चाहिये. परमात्मा निश्चय ही आपका रक्षण करेगा. पंडित की परिभाषा : परमात्मा से जब यह पूछा गया कि- भगवान्, इस संसार के अन्दर सबसे अधिक विद्वान और पंडित किसे कहा जाय? इसकी व्याख्या क्या है. भगवान् महावीर ने वतलाया - जो समय के मूल्य को समझे, वही पण्डित. समय का उपयोग करने वाला अप्रमादकर्ता साधना की सिद्धि प्राप्ति करता है. परन्तु प्रमाद अवस्था के अन्दर For Private And Personal Use Only

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