Book Title: Jivan Drushti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 101
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९० जीवन दृष्टि मां ने कहा :- "जिस प्रकार आसपास के स्थानों को जीते बिना सीधे केन्द्र पर आक्रमण करने को मूर्खता के फलस्वरूप चाणक्य और चन्द्रगुप्त को बुरी तरह पराजित होने का दुःख उठाना पड़ा, उसी प्रकार इस बालक ने भी आसपास की खिचड़ी खाये बिना बीच में से उठाने की मूर्खता करके अपनी उँगलिया जला ली. दोनों ने कहा :- “धन्यवाद! हम ही दोनों चाणक्य व चन्द्रगुप्त हैं, आपने हमारी आँखें खोल दी, अब हम ऐसी भूल नहीं करेंगे." इसके बाद उन्होंने आस-पास के स्थानों पर विजय प्राप्त करते हुए क्रमशः केन्द्र पर अधिकार हासिल कर लिया. रज्जा साध्वी का विचार रहित बोलने का परिणाम : महानिशीथ सूत्र के अनुसार प्रभु महावीर ने देशना में एक दिन कहा :- “एक ही विचार रहित वाक्य के प्रयोग से रज्जा साध्वी को घोर दुःख उठाना पड़ा है." गणधर गौतम स्वामी ने पूछा :- “प्रभु! कृपया रज्जा साध्वी का पूरा वृत्तान्त सुनाइये." प्रभु बोले :- “हे गौतम! इसी भरत क्षेत्र में श्री भद्राचार्य द्वारा दीक्षित पांच सौ साधुओं और बारह सौ साध्वियों का एक गच्छ था. उस गच्छ में तीन प्रकार का जल ही काम में लिया जाता था :- (१) तीन बार उबाला गया, (२) आयाम (ओसामन) और (३) सौवीर (काँजी). पूर्व कर्म के उदय से एक बार रज्जा साध्वी को कोढ़ हो गया. उसकी यह हालत देख कर अन्य साध्वियों ने पूछा :- “आप तो दुष्कर संयम का पालन करती रही हैं, फिर आपको यह रोग कैसे हुआ?" रज्जा साध्वी ने गहरा विचार किये बिना ही कह दिया :- “प्रासुक जल पीने का यह फल भोग रही हूँ." __ यह सुनकर, एक को छोड़कर शेष समस्त साध्वियों के मन में यह आशंका उत्पन्न हो गई कि यदि हम भी गच्छ के नियम के अनुसार प्रासुका जल पीती रहेंगी तो हमें भी कोढ़ हो जायगा. परन्तु उनमें से एक साध्वी ने सोचा कि अनन्त ज्ञानियों ने संयमियों के लिए प्रासुक जल पीने का जो विधान किया है, वह गलत कभी नहीं हो सकता. रज्जा साध्वी को जो कोढ़ हुआ है, वह उसके किसी पूर्व कर्म के उदय का फल है; किन्तु उसने दुःख से छटपटाकर शास्त्र विरूद्ध वचन बोलने का घोर पाप किया है. मेरे तो यदि प्राण भी चले जायें तो भी प्रासुक जल पीने का नियम कभी नहीं तोडूंगी... ऐसा विचार करते-करते ही उसे केवल ज्ञान प्राप्त हो गया. चारों और से उसकी जय जयकार होने लगी. For Private And Personal Use Only

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