Book Title: Jivan Drushti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 79
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवन दृष्टि ६८ मिलेगी. “मैंने सवा लाख जप किया है. दस हजार मालाएं फिराई हैं. पांच वर्षों से सुबह उठ कर ध्यान करता हूँ..." आदि अहंकार प्रकट होकर सभी साधना को ध्वस्त कर देगा. घी शक्ति वर्धक है, परन्तु दस-बीस ग्राम के परिमाण में सेवन किया जाय तभी, अन्यथा और कुछ न खाकर किलोग्राम घी ही खा लिया जाय तो आपकी क्या दशा हो जायेगी ? आप समझ सकते हैं. यही बात जाप की संख्या के लिए समझें. आठवीं बात है - गुरु का मार्गदर्शन. साधना जिसकी प्रेरणा से कर रहे हैं, उसी से उसकी सम्पूर्ण विधि समझ लें. गुरु की कृपा से विधिपूर्वक साधना में सफलता निश्चित रूप से मिलती है. नौवीं बात है - ब्रह्मचर्य, शीलधर्म, सदाचार या स्वदार सन्तोष व्रत का पालन. सदाचार साधना का प्राण है. प्राण निकल जाने पर साधना की केवल लाश रह जायगी. दसवीं और अन्तिम वात है- मन की शान्ति, मानसिक निर्मलता. जब परमात्मा का ध्यान करना है, तब संसार की किसी वस्तु का ध्यान नहीं आना चाहिये. नमक से मकोड़े को उठा कर शक्कर के पहाड़ पर रख दिया गया और उससे पूछा कि बताओ शक्कर का स्वाद कैसा है तो उसने " खारा” बताया, क्योंकि उसके मुँह में नमक का अंश था. जब वह अंश निकाल दिया गया, तब कहीं जाकर उसे शक्कर का मीठा स्वाद आया. इसी प्रकार जब तक मन में संसार घुसा रहेगा, तब तक उसमें परमात्मा का प्रवेश नहीं हो सकता. सेठ मफतलाल का जूता : अनादिकाल से हमारे जीवन में कुटिल संस्कार है कि हम अपनी ओर न देखकर केवल दूसरों की ओर ही देखा करते हैं. सेठ मफतलाल भाई किसी व्यवसाय के सिलसिले में बम्बई गये. वहाँ एक लॉज में ठहरे. जव भी वे बम्बई जाते, उसी लॉज में अपने निश्चित रूम में ठहरा करते थे. उनके रूम के ऊपर एक रूम था. सेठ के आने पर मैनेजर उस ऊपर वाले रूम को खाली ही रहने देता था, क्योंकि सेठ को किसी प्रकार का डिस्टर्वेन्स पसन्द नहीं आता था, ऊपर के रूम में जरा भी धमधमाहट होती तो सेठजी को नींद नहीं आती थी. ऐसी दशा में वे चिल्लाहट करते और झगड़ने लगते. उनकी बड़बड़ाहट से दूसरों की नींद भी हराम हो जाती थी, इसलिए मैनेजर ऊपर वाले रूम को सेठजी के आते ही ताला लगा दिया करता था. उस दिन भी उसने वैसा ही किया. रात की शुरूआत ही हुई थी कि कहीं से एक अन्य व्यक्ति भी वहाँ आया. उसे अन्य किसी लॉज में ठहरने के लिए रूम नहीं मिला था. वड़ी आशा के साथ वह इस लॉज में आया था. मैनेजर से उसने कहा कि मैं आपकी लॉज मे रात-भर ठहरना चाहता हूँ. किसी भी तरह एक रूम खाली हो तो दे दीजिये. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134