Book Title: Jivan Drushti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३० जीवन दृष्टि दुनियाँ में सदाचार को ही जीवित माना गया है. दुराचारी तो सिर्फ हाड़-मांस का पुतला है, मृत है. मेरा प्रवचन भी सदाचारी आत्माओं के लिए है न कि मुर्दो के लिए. अमेरिका में स्वामी विवेकानन्द से पत्रकारों ने पूछा-हमारे लिए क्या लाये? उन्होंने एक ही जवाब दिया. - I will boost upon a society like bomb and society will follow me likeadog. मैं तुम्हारे लिए वह सत्य विचार लेकर आया हूँ जो तुम्हारे समाज पर बम की तरह फटेंगे और उस सत्य को जानकर तुम्हारा समाज मेरे पीछे पीछे कुत्ते की तरह पूँछ हिलाता हुआ आयेगा. ये एक गुलाम देश के आजाद संन्यासी की वाणी थी. उनके शब्दों में सदाचार का बल था जिसके चिन्तन ने पूरे अमेरिका को हिला दिया. आज उसी अमेरिका ने विवेकानन्द शताब्दी वर्ष मनाया. यह उस गर्जना का प्रभाव था. उनके शब्दों में सदाचार का बल था. स्वामीजी से एक प्रवचन में किसी श्रोता ने प्रश्न किया - आपने हिन्दुस्तानी टोप पहन रखा है किन्तु जूते अमेरिकन पहन रखे हैं. टोप भी अमेरिकन पहन लीजिये और पूरे अमेरिकन बन जाये तो क्या हर्ज है? स्वामीजी ने तुरन्त जवाब दिया- आप क्यों चिन्ता करते है. पांव तो मेरे नौकर हैं और सिर मेरा मालिक है. नौकर यदि कोई अमेरिकन हो जाय तो क्या आपत्ति है. मालिक तो इन्डियन ही है, इन्डियन ही रहेगा. यह ताकत, यह गर्जना स्वामीजी में आई कहाँ से? अपनी संस्कृति से, अपने धर्म के प्रेम . For Private And Personal Use Only

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