Book Title: Jivan Drushti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 58
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७ जीवन में सदाचार भक्ति के मार्ग पर लग गये- संन्यासी बन गये, सर्वस्व त्यागी बन गये. होटल की वस्तुएं कैसी? आपको भी धीरे-धीरे उस दिशा में बढ़ना है, अभक्ष्य (मांस) के भक्षण का त्याग करना है. फिल्मों का और फिल्म संगीत का त्याग करना है, शराव का त्याग करना है. बीड़ी सिगरेट का त्याग करना है. रात्रि भोजन का त्याग करना है और अन्त में संसार की सेन्ट्रल जेल से बाहर निकलना है, परन्तु वह अन्तिम कार्य है. उसके लिए मन सहसा तैयार नहीं होता. जो रिटेल में त्याग नहीं कर सकता, वह होलसेल में त्याग क्या खाक करेगा? जो लोग रिटेल में त्याग करना चाहते हैं, उन्हें मैं सलाह देना चाहता हूँ कि वे सबसे पहले होटल का त्याग करें. इस विषय में मैं अपने बचपन का एक अनुभव सुना दूं. कोई परिचित व्यक्ति दूसरे शहर से कलकत्ते में हमारे घर आया. घरवालों ने कलकत्ता शहर दिखाने का काम मुझे सौंपा, बड़ी खुशी से मेहमान को साथ लेकर मैं कलकत्ते की दर्शनीय वस्तुएँ दिखाता रहा. इस बीच नाश्ते की इच्छा जान कर मैं उन्हें एक अच्छे होटल में (रेस्टोरेन्ट) में ले गया. नाश्ता मंगवाकर हम दोनों खाने लगें. उस समय मेरी नजर पास ही एक कमरे में बैठे हलवाई पर पड़ी. कमरे की दीवार के बीच की खिड़की में एक पारदर्शक काँच लगा था. उससे साफ दिखाई देता था कि हलवाई क्या कर रहा है. __ मैं खाता भी जा रहा था और उधर देखता भी जा रहा था. उस समय वह समोसे बना रहा था. भट्टी की गर्मी के कारण उसका पसीना मसाले में टपक रहा था. मैंने मेहमान को दिखाया"देखिये, वह सामने हलवाई समोसे के मसालें में अपना मसाला किस तरह मिला रहा है!" ठीक उसी समय संयोगवश हलवाई को जोर की छींक आई और उसका नाक से निकला सारा विटामिन भी उसी मसाले में शामिल हो गया, यह सब देखकर मुझे होटल से घृणा हो गई. जब सुप्रसिद्ध स्टेन्डर्ड बड़े होटल का हलवाई ऐसा करता है तब छोटे-छोटे होटल वाले करते हों तो क्या आश्चर्य? उस दिन से मैंने संकल्प कर लिया कि किसी भी होटल में कभी पांव नहीं रक्खूगा. यह तो हुई साधारण अनुभव की बात; परन्तु अखबारों में जो घटनाएँ पढ़ने में आती हैं, वे तो और भी अधिक भयंकर होती हैं. कई बार मच्छर, मक्खी, मकोड़े, फुद्दिया, चूहे, बिच्छु, छिपकली, मेंढक आदि होटल की बनी चीजों में निकल आते हैं और खानेवालों का स्वास्थ्य चौपट कर देते हैं. यहाँ तक कि कभी-कभी जान भी ले लेते हैं. इसके अतिरिक्त होटल पापों का प्रवेशद्वार भी है; क्योंकि वहाँ ऐसी सोसायटी मिलती है, जो आपको पतन की ओर ले जाती है. आहार भी वहाँ अशुद्ध मिलता है. न जाने कैसे-कैसे For Private And Personal Use Only

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