Book Title: Jain Vidya 07 Author(s): Pravinchandra Jain & Others Publisher: Jain Vidya Samsthan View full book textPage 5
________________ क्र. सं. 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15 विषय प्रास्ताविक प्रकाशकीय प्रारम्भिक सुदंसणचरिउ का साहित्यिक मूल्यांकन गुणों की सार्थकता सुदंसणचरिउ का काव्यात्मक वैभव विषय-सूची सुदंसणचरिउ में अलंकार-योजना सुदंसणचरिउ का छान्दस . वैशिष्ट्य सुदंसणचरिउ प्रयोजन की दृष्टि से व्यसनों के दुष्परिणाम सुदंसणचरिउ के मूल्यात्मक प्रसंग - एक व्याकरणिक विश्लेषण सदंसणचरिउ उदात्त की दृष्टि से मद्यपान के दुष्परिणाम भारतीय भाषाओं में सुदर्शनचरित विषयक साहित्य जीवन का यथार्थ हेमचन्द्र प्रपभ्रंश - व्याकरण सूत्र विबेचन शिविर - प्रयोजन इस अंक के सहयोगी रचनाकार लेखक डॉ. प्रादित्य प्रचंडिया 'दीति' मुनि नयनन्दी डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री डॉ. गंगाराम गर्ग डॉ. श्रीरंजन सूरिवेव श्री श्रीयांशकुमार सिंघई मुनि नयनन्दी डॉ. कमलचन्द सोगारणी डॉ. गवाधसिंह मुनि नयनन्दी डॉ. जयकुमार जैन मुनि नयनन्दी डॉ. कमलचन्द सोगाणी पू. सं. 1 1231 1120 17 29 35 46 47 61 72 73 80 81 95 97Page Navigation
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