Book Title: Jain Tithi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 64
________________ गई है । उसपर ध्यान दीजिये। आप जानते है कि गुलामको रानी जीत लेती है, रानीको बादशाह जीत लेता है और बादशाहको इक्का जीत लेता है । पर इक्काको कोई नहीं जीत सकता । राना मी उसके साम्हने हार मानता है। यह इक्का कोई अन्य वस्तु नहीं है। किन्तु एकताको ही इक्का कहते हैं। इस लिये जहां एकता है वहीं जीत होती है। यदि आप अपनी जातिकी उन्नति करना चाहें तो मेलसे काम करना सीखिए, साधर्मियोंसे वात्सल्य धारण कीजिए और एकताके प्रबल किले द्वारा अपनी जातिको सुरक्षित बनाइये। फूटने हमारा सर्व नाश कर डाला है। इसलिए अब हमें उसका साथ छोड़ देना जरूरी है। और तब ही हम अपनी उन्नति कर सकेंगे। परमात्मा करे वह दिन हमें शीघ्र प्राप्त हो जब हम भाईसे भाई गलेसे लगे और मिलकर जातिकी अवनतिको उन्नतिमें परिणत करदें। प्रार्थी--बुद्धमल पाटनी, इंदौर । बारह भावना। अनित्यभावना। देह गेह सजनेमें लगे क्या हो, गिरिधर देह गेह जोवन अनित्य सब मानिये, पीपलके पान सम कुंजरके कान सम वादलकी छांह सम इन्हें चल जानिये। विजलीकी चमकसी पानीके बुदबुदसी इन्द्रके धनुपसी ये सम्पत्ति प्रमानिये, दया दान धर्ममें लगाके इसे भली भांति गनिये परोपकार सुख मन आनिये । * * वावा भागीरथजीके द्वारा प्राप्त । - -

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