Book Title: Jain Tithi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 102
________________ ジ ( ८४ ) पर मड़ा परिश्रम किया है । पर खेद है कि इस विषयमें हमारा अनधिकार होनेसे हम इसके गुण दोषोंकी विवेचना करनेमें असमर्थ हैं। हां इतना कहना अच्छा समझते हैं कि फलितज्योतिष के अनुरागी इससे बहुत लाभ उठा सकेंगे। हमें यहांपर अम्युदयमें प्रकाशित एक पुराने विज्ञापनकी स्मृति हो उठी है । यदि हमारे फलितसारसंग्रहके विद्वान् लेखक महाशय उसके सम्बन्धर्मे कुछ प्रयत्न करते तो जनसाधारणका बड़ा उपकार होता । न जाने क्यों आपका ध्यान उधर नहीं गया ! संभव है वह विज्ञापन आपके अवलोकनमें न आया हो। हम फिर भी उसकी ओर पंडितनीका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं । पुस्तक साधारणतः अच्छी छप है। पर कीमत अधिक जान पड़ती है । विद्रत्नमाला - लेखक श्रीयुक्त नाथूरामजी प्रेमी । प्रकाशक जनमित्र कार्यालय । यह पुस्तक अत्रकी वर्ष जैनमित्रके उपहारमें दीगई है । इसका विषय ऐतिहासिक है । इसमें जिनसेन, गुणभद्र, आशावर, अमितगति, वादिराज, मल्लिषेण और समन्तभद्राचार्य इन सात माहात्माओंकी गवेषणापूर्वक जीवनियां लिखी गई है। इसके पढ़नेसे लेखककी ऐतिहासज्ञताका पूर्ण परिचय मिलता है। लेखक महाशयने इस पुस्तकका संकलन कर गड्ढे में गिरे हुए मैन साहित्यका बड़ा उपकार किया है । जैनियोंके अतिरिक्त जन साधारण भी इसके द्वारा जैन साहित्यकी बहुत कुछ बातें जान सकते हैं । पुस्तककी छपाई आदि सुन्दर है । दश आने खर्च करने से पृथक भी मिल सकती है । पत्र, बम्बई ४ हीराबागके पतेपर लिखना चाहिए । " • 1 3

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