Book Title: Jain Tithi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 100
________________ है जो आश्चर्यमें डुबोये देता है। न जाने ऐसा पवित्र दिन भारतके लिए कब आवेगा जब भारतकी स्त्रियां भी अपने कामसे संसारको मुग्ध करने लगेंगी ! __ भारतके प्यारे पुत्रो ! अब तो अपने देशकी परिस्थितिपर ध्यान दो। वह बहुत दिनोंसे गिरता ही चला जा रहा है । सबसे पहले उसके लिए तुम्हारा कर्तव्य है कि जैसे उसकी प्यारी पुत्रियां पढ़ लिखकर उसकी सेवा करनेके लिए तैयार होने लगें, वैसा ही तुम काम करो। श्रीशिक्षाका प्रेमीमाणिकचन्द सेठी झालरापाटन । - पुस्तक-समालोचन। धर्मप्रश्नोत्तर-मूलग्रन्थ सकलकीर्ति मट्टारकका बनाया हुआ है। हिन्दी पं. लालारामजीने की है । पं. पन्नालालनी वाकलीवालके द्वारा प्रकाशित किया गया है। कीमत दोनों खण्डकी २) है। मिलनेका पता पं. पन्नालालनी वाकलीवाल ठि. मैदाग्नि नैनमन्दिर बनारस सिटी। __ सारे ग्रन्थमें प्रश्नोत्तरके द्वारा धार्मिक विषय बड़ी खूबीसे सममाया गया है । समझानेकी प्रणाली सरल है। हर एक विषय बड़ी जल्दी समझमें आ सकता है। अन्य नैनियोंके बहुत कामका है। अच्छा होता यदि प्रकाशक पंडितजी भाषाके साथ साथ मूलप्रन्या कर्ताकी सरल संस्कृत भी लगा देते । अन्य मोटे कागजपर सुन्दरताके साथ छपा है।

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