Book Title: Jain Tithi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 88
________________ और उन्नतिको अपनी उन्नति समझते हैं । यही कारण है कि उनका चक्र हमारे भोले भाईयोंपर चल गया। इसका जो परिणाम हुआ उसका हम पहले उल्लेख कर आये है । सव कुछ हुआ । अधिवशनकी असफलताके लिए कोई बात उठा न रक्खी गई। पर तब भी हमारी समझके अनुसार वे कुछ भी सफलता प्राप्त नहीं कर सके। हां उनके इस असामयिक अविचारसे इतना लाम जलर हुआ कि काम करनेवाले सज्जनोंमें एक नवीन शक्तिने अवतार ले लिया। पाठक थोड़े दिनों बाद जान सकेंगे कि यह शक्ति कितना काम करेगी? ४-कायरता। हमें विश्वास था कि वम्बईसमाके उत्साही कार्यकर्ता अपना कार्य पूर्ण उत्साहके साथ करेंगे । उसमें किसी तरहकी कमी न आने देंगे । पर ता. २९ की मैनेजिंगकमेटीकी बैठकमें उनके उत्साहका हमें पूर्ण परिचय मिल गया । कुछ ही विरुद्ध पुरुपोंका उनपर ऐसा प्रभाव पड़ा कि वे उस समय साधारण प्रस्तावोंके अतिरिक्त कुछ भी महत्त्वके प्रस्ताव पास नहीं करने पाये । हम नहीं जानते कि जातीय काम इतनी डरपोकतासे किये जाते है । वे लोग बड़ी भूल करते हैं जो सामाजिक कामोंको अपमानके भयसे विरोधी लोगोंकी रुचिके अनुसार करते है। उन्हें अपने पूर्व पुरु- . के धैर्य और सहनशीलताका कुछ भी ज्ञान नहीं है। वे नहीं निते कि जातीय कामके लिए उन्होंने अपने जीवनको भी कुछ नहीं गिना था। फिर जरासे अपमानसे हममें इतनी कायरता, इतनी असामर्थ्य क्यों ! सच मुच उनकी यह भीरुता देखकर आश्चर्य

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