Book Title: Jain Tithi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 97
________________ ( ७९ ) जा रहे है ? वह दिन जैनियोंके लिये कितना उत्तम होता जिस दिन उनका बन इन मुकद्दमां के द्वारा आमिपभोजियों के पेटमें न पड़करउससे हिंसाका प्रचार न होकर जातिके लिए व्यय होता । जातिम विद्यामंदिर और जिनवाणीभवन आदिकी स्थापना होती और उनके द्वारा जानिमें नई शक्ति पैदा होती ? यही सब देखकर प्रश्न उठता है कि क्या जैनममाजका उद्धार होगा ? स्त्रीशिक्षा | यदि हम यह कहें कि देश और जातिकी उन्नति स्त्रीशिक्षा निर्भर है तो कुछ अनुचित न कहा जा सकेगा । त्रीडिलाका किनन महत है यह शब्दोंक द्वारा समझाना कठिन है । ममारके प्रायसभी प्रसिद्ध विद्वानान यह बात कण्टसे स्वीकार की है कि जिम दंगम, जिम जातिम और निम गृहमें स्त्रीशिक्षाका प्रचार नहीं है वह देश, वह नति और यह गृह कभी उन्नत नहीं हो सकते। भारतका जो आज सीमान्त अव पात हो गया है उसका प्रधान कारण स्त्रीशिक्षाका भी अभाव है । और जबतक इसका यथेष्ट प्रचार न होगा तबतक पतित भारत उन्नत होगा यह संभव नहीं । इमे कोर्ट अस्वीकार नहीं कर सकता कि मूर्ख के द्वारा समाज या देशको किसी तरहका भी लाभ नहीं पहुच सकता । और तो क्या जब वह सन्तानपालन, गृह प्रत्रन्व आदि जरूरी कामोंका मी पालन अच्छी तरह नहीं कर सकती तब उसके द्वारा किसी भारी महत्वके कामका सम्पादन किया जाना कैसे संभव माना जा सकता है ? उसे स्वयं इस बानका ज्ञान नहीं है कि मेरा कर्तव्य क्या है ?

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