Book Title: Jain Tithi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 82
________________ चरित सज्जन हैं। इसमें सन्देह नहीं कि बम्बई समाने आपको सभापति निर्वाचित कर बड़े महत्त्वका काम किया। इस आदर्श कार्यके उपलक्षमें वह अवश्य धन्यवादकी पात्र है। क्या हमारी और और सभाएँ प्रान्तिकसभाके इस महत्त्वके कामका अनुकरण कर नैन समाजको उपकृत करेंगी ? यह बात अच्छी तरह ध्यानमें रखनी चाहिए कि समाजका हित साधन जितना निःस्वार्थ और उदार चरित विद्वान करेंगे उतना औरोंसे होना असंभव है। सभापति साहबका आगमन ता. २५ दिसम्बरको हुआ था। उस समय आपके स्वागतके लिए बम्बईके प्रायः सभी दिगम्बर जैनसमाजके प्रतिष्ठित धनिक सज्जन स्टेशनपर गये थे । वहांपर आपका बड़े उत्साह और हर्पके साथ पुष्पमाला आदिसे अपूर्व संमान किया गया था। इसके बाद बड़े उत्सव पूर्वक बैण्ड बाजेके साथ साथ आप शहरमें लाये गये थे । उस समयकी शोमाका रमणीय दृश्य वास्तवमें दर्शनीय था। ३-सभापतिके व्याख्यानमें हलचल । तारीख २८ दिसम्बरको सभाकी पहली बैठक हुई । श्रीयुक्त प. धन्नालालजीने मङ्गलाचरण कर सभाका काम प्रारंभ किया। वाद श्रीयुक्त सेठ हीराचन्द नेमिचन्दनीके प्रस्ताव करनेपर समापतिका चुनाव हुआ। सभापति साहबने सभाकी कृतज्ञता प्रकाशकर अपनी ओजस्विनी वक्तृता आरम की । कुछ व्याख्यान होजानेके वाद जब आपने जातिभेदके सम्बन्धमें कहा कि-" धार्मिकबन्धुओ ! इस त्यागी मण्डलकी स्थापन्गके साथ २ आपको जातिभेदके अनावश्यक वे शास्त्राज्ञाबाह्य बन्धनको भी शनैः २ ढीला करके सर्वथा तोड़

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