Book Title: Jain Tithi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 76
________________ (५८) (८) प्रेमके साथ बालकपर शासन करनेको छोड़कर और कोई शासन प्रणाली अच्छी नहीं है। बालकोंपर इसी प्रणालीसे शासन करना चाहिए । कठोर और कर्कश व्यवहार करनेसे अथवा भय दिखाने और मारनेसे उनके मनकी स्फूर्ति नहीं होने पाती। सदा शासनके भयसे वह डरपोक हो जाता है और उसका स्वभाव भी कर्कश और नीच हो जाता है । जिस घरमें बालकोंके हृदयमें स्फूर्ति-चंचलता नहीं है वहां बालक निर्भय चित्त होकर कभी खेल नहीं सकते। उन यमालय समान घरोंमें वालकोंकी मनोवृत्तिया स्फूर्तिवाली और तेजस्विनी होगी यह कभी संभव नहीं । इस लिये उचित है कि हम उन्हें स्फुरित होने दें। . ; अपूर्ण । मनकी मौज । वर्तमान समयमें विचार स्वातव्यकी बड़ी कदर है । इंग्लैंडके तत्त्ववेत्ता जा० स्टु० मिलके कथनानुसार प्रत्येक मनुष्यको अपने विचारोंके प्रगट करनेका अधिकार है । और उनके प्रगट करनेसे मनुष्य सगानको कुछ न कुछ लाभ अवश्य पहुंचता है। मेरे मनमें तरह तरहके विचार उठा करते है पर सूमकी सम्पत्तिकी तरह वे अबतक किसीके उपयोगमें नहीं आते थे-जहाके तहां नष्ट हो जाते थे । पर अब आगे यह न होगा । मिल साहवकी सम्मति से अव मै उदार बनता हूं और अपनी प्रत्येक मौजको सत्यवादीके द्वारा वितरण करनेके लिए मुक्तहस्त होता है।

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