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प्रश्न ( १३ ) - मिथ्यादर्शनादि कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर - प्रगृहीत और गृहीत के भेद से मिथ्यादर्शनादि दो दो प्रकार के हैं ।
प्रश्न (१४) - प्रगृहीत मिथ्यादर्शन किसे कहते हैं ?
उत्तर- "जीवादि प्रयोजन भूततत्त्व, सधै तिन माहि विपर्ययत्त्व" अर्थात् जीव है आदि में जिसके ऐसे जीव, प्रजीव, श्राश्रव, बघ, सम्बर, निर्जरा और मोक्ष यह प्रयोजनभूत तत्त्व हैं इनका उल्टा श्रद्धान करना अगृहीत मिथ्यादर्शन है ।
प्रश्न ( १५ - अगृहीत मिथ्यादर्शन को जरा खोलकर समझाइये ?
उत्तर - निजकारण परमात्मा में और नौ प्रकार के पक्षों में एकत्वपने की श्रद्धा वह प्रगृहीत मिथ्यादर्शन हैं ।
प्रश्न (१६) - नौ प्रकार का पक्ष कोनसा है जिसमें आत्मपने की बुद्धि से मिथ्यादर्शन है ?
उत्तर - ( १० मत्यन्त भिन्न पर पदार्थ का पक्ष,
(२) - आँख नाक कान आदि श्रदारिक शरीर का पक्ष । (३) - तेजस कार्माण शरीर का पक्ष ।
( ४ ) - भाषा और मन का पक्ष ।
(५) - शुभाशुभ विकारी भावों का पक्ष । (६) - अपूर्ण पूर्ण शुद्ध पर्याय का पक्ष ।