Book Title: Jain Siddhant Bhaskar
Author(s): Hiralal Professor and Others
Publisher: Jain Siddhant Bhavan

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Page 30
________________ ܢܪ भास्कर [ भाग 10TH CENTURY A. D. (२२) शक सं० ८२४ (902 A. D.) में आदिपम्प या हम्प का जन्म हुआ, जो दि०कर्णाटक कवि था । Ref. J. R. A. (N. S.) XIV, 19. (२३) श्रीविजय दण्डनायक, जिन्हें रिविनगोज और अनुपम कवि भी कहते हैं, प्रायः ई० सन् ९१५ के लगभग हुए हैं। दानवुल पाडुस्तंभ शिलालेख में वे राजा इन्द्र (पानरेंदु) के., जो कि राष्ट्रकूट नित्यवर्ष इन्द्रतृतीय जाना गया है (identified with the Rastrakuta) अधीन के (subordinate) बतलाये गये हैं। गंगमंत्री चामुण्डराय की तरह, जो पश्चिमीया गंगसम्राट् मारसिंह द्वितीय और राचमल्ल द्वितीय का सेवक और जैन साहित्य तथा धर्म का बहुत बड़ा संरक्षक था । श्रविजयशास्त्रविद्या के समान अस्त्र (युद्ध) विद्या में भी अद्वितीय था। साथ हा जैनधर्म का संरक्षक था और उनने अन्त में मोक्षप्राप्ति के लिये, एक पवित्र जैन के सदृश, संसार का त्याग किया । Ref. Ep. Ind. X, 149-50. (२४) वि० सं० ९७३ (917 A.D.) में राष्ट्रकूटवंशी राजा विदग्ध हुआ । अपने धर्मगुरु वासुदेवसूरि (बलभद्र) के उपदेश से उसने हस्तिकुण्डिका ( हाथंडी) में एक जैनमंदिर वनवाया । राजा ने अपने को सोने से तौला था जिसका दो तिहाई भाग 'जिन' को और शेष (3) जैनगुरु (वासुदेव सूरि) को दिया । उस ने मंदिर और गुरु को और भी दान वि० सं० ९७३ में दिये थे । Ref. Ep. Ind. X, 17–23. (२५) वि० सं० ९९६ (940 A. D. ) में' 'मम्मट' राष्ट्रकूट ने अपने पिता विदग्धराज के दिये हुए दानपत्र को फिर से हस्तिकुण्डिका जेनमंदिर के हक़ में नया किया (Renewed). Ref. Ep. Ind. X., 20. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat (२६)वि० सं० १००८ ( 944 A. D.) में शालास्थिति का प्रारंभ हुआ । अर्थात् श्वेतांबर साधुओं की मंदिरों में रहने की प्रवृत्ति के स्थान में उपाश्रयों में रहने की धीरे धीरे प्रवृत्ति प्रारंभ हुई | Approximate date of the great Swetambar awakening. Ref. B. R. 1883-4, P. 323. (२७) शक संवत् ८६७ शुक्रवार के दिन (5th December, 945A. D.) पूर्वीय चालुक्य अम्मा द्वितीय या विजयादित्य षष्ट का, जो कि चालुक्य भीम द्वितीय वेंगी के राजा का पुत्र और उत्तराधिकारी था, और जिसने ईस्वी सन् ९७० तक राज्य किया, दबार (coronation) हुआ। यह राजा जैनियों का संरक्षक था । महिला 'चामकाम्ब' के कहने पर (at the instance of), जो पट्टषर्धक घराने की थी, उस (राजा) ने एक गाँव www.umaragyanbhandar.com

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