Book Title: Jain Siddhant Bhaskar
Author(s): Hiralal Professor and Others
Publisher: Jain Siddhant Bhavan

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Page 92
________________ ६८ वैद्य-सार - अनुपान काली मिर्च, सोंठ, सजीखार, जवाखार, सुहागा, पांचो नमक, हींग, चित्रक, अजमोदा, जीरा सफेद एक-एक भाग तथा सौंफ ४ भाग सब को चूर्ण करके प्रतिदिन सेवन करे। इस रस का दूसरा नाम रस राजेन्द्र है। यह प्राणियों को शांति करनेवाला प्रसिद्ध है। वास्तव में इस का दूसरा नाम प्राणोश्वर रस है। प्राणों के निकलने के समय भी यह प्राणों का रक्षक है। इसको पानके रसके साथ गर्म जल के साथ सेवन करे तो यह त्रिदोषज ज्वर, कठिन से कठिन सन्निपात, प्लीहा, गुल्म रोग, बात रोग, परिणाम-जन्य शूल, मन्दाग्नि, ग्रहणी और वरातिसार में लाभदायक है। रोगरूपी विष का नाश करनेवाला और मृत्यु को जीतनेवाला यह प्राणोश्वररस पूज्यपाद स्वामी का कहा हुआ है १२६-जलोदरे शूलगजांकुशरसः निष्कत्रयं शुद्धसूतं द्विनिष्कं शुद्धटंकणम् । गंधकं पंचभागं च चैकनिष्कश्च तिन्दुकः॥१॥ चतुनिष्कश्च जैपालः तस्य द्विगुणताम्रकम् । सर्वतुल्य-तिलक्षारः वृत्ताम्लं तारमेव च ॥२॥ तद्वत्पलाशभस्मं च परिणष्कं सैंधवोषणम् ।। यवत्तारविड्लवणानि वर्चलसामुद्रके तथा ॥३॥ पिप्पलीत्रयनिष्कं वै चार्कदुग्धेन मर्दयेत् । निष्कमात्रप्रयोगेण जलोदरहरश्च सः ॥४॥ शूलगजांकुशरसः पूज्यपादेन भाषितः। टीका-८ माशा शुद्ध पारा, ६ माशा शुद्ध सुहागा, १॥ तोला शुद्धगन्धक, ३ माशा शुद्ध कुचला, १ तोला शुद्ध जमालगोटा, २ तोला तामें की भस्म, ५ तोला तिली का तार, . ५ तोला तिन्तड़ीक का क्षार, ५ तोला पलास का क्षार, १॥ तोला सेंधा नमक, ॥ तोला काली मिर्च, १॥ तोला जवाखार, १॥ तोला विड नमक, १॥ तोला काला नमक, १॥ तोला समुद्र नमक, ६ मासा पीपल इन सब को कूट कपड़छन करके अकौवा के दूध में घोंट कर - तीन-तीन रत्ती के प्रमाण से गोली बनाकर अनुपानविशेष से देवे तो जलोदर दूर होवे । यह शुलगजांकुश रस पूज्यपाद स्वामी का कहा हुआ है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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