Book Title: Jain Siddhant Bhaskar
Author(s): Hiralal Professor and Others
Publisher: Jain Siddhant Bhavan

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Page 61
________________ किरण] विविध विषय "कपिल मुनि म ऋषिवरो, निर्ग्रन्थ-तीर्थङ्कर ऋषभः निर्ग्रन्थरूपी ।” एक मण्डल की माग्यरचना में जिन महापुरुषों ने भाग लिया था उनका वर्णन करते हुए बौद्ध ऋषमदेव जैसे महापुरुष को भुला ही कैसे सकते थे ? उक्त ग्रंथ का चीनी भाषा में अनुवाद सन् ९८०-१००० ई० में हुआ था। ग्यारहवीं शताब्दी में वह तिब्बत की भाषा में अनुवादित किया गया था। ५ जेकोस्लोवेकिया के प्रोफेसर अोटो स्टीन ने स्वर्गीय डा० विन्टरनीज का परिचय दया है। विन्टरनीज का जन्म २३ दिसम्बर १८६३ को आस्ट्रिया के होर्न नामक स्थान पर हुआ था। इन्होंने प्रोफेसर बुल्हर के निकट जैनधर्म की शिक्षा पाई थी। "जैनसाहित्य, का अच्छा परिचय आपने अपने "भारतीय साहित्य के इतिहास" में दिया है। खेद है कि तारीख ९ जनवरी, १२३७ को आप का स्वर्गवास हो गया। -कामता प्रसाद SIR Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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