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कॉन्फरन्स में अनेक लाभ होना संभव है. •• तदुपरांत जुदे २ नगर और ग्रामों के विद्वान्, बुद्धिमान् तथा धनवान् और सद्गुणी मनुष्यों का परस्पर मेल होने से आपस में भ्रातृभाव और संपकी वृद्धि होना संभव है ।
आ सिवाय जैन समाजने लगता अनेक प्रश्नोनी तेमणे तलस्पर्शी छणावट करी हती.
आ अधिवेशनमां थयेला अगत्यना ठरावोमां दिनप्रतिदिन जीर्णावस्थाने प्राप्त करता शास्त्र ग्रंथोना रक्षणार्थे भंडारोना ग्रंथोनी टीप तथा तेना जीर्णोद्धारनी आवश्यकता, स्त्री अने पुरुषवर्गमां व्यावहारिक तथा धार्मिक केळवणीना प्रचार माटे प्राथमिक स्कूलो, हाइस्कूलो तथा बोर्डिगो बगेरे खोलवा, स्कॉलरशिपो आपवा, संस्कृत तथा मागधी पाठशाळाओ खोलवा, कन्याशाळाओ तथा श्राविका शाळाओ तथा जैन लायब्रेरीओ खोलवा, तेम ज धार्मिक विषयो पर सस्तु साहित्य तथा विद्वत्ताभरेला तेम ज बोधदायक लखाणोवाळां जैन पत्रो तथा मासिको प्रकट करवा; जैनोने सारा उद्योगे लगाडवा अने तेमने यथाशक्ति मदद करवा, हिंसा अने पशुओ उपर गुजरतुं घातकीपणुं अटकाववा, जीवदयाने उत्तेजन आपवा, कॉन्फरन्सनी योजना पार पाडवा मोटा शहेरोमां वर्किंग ऑफिसो उघाडवा, पगारदार सेक्रेटरी नीमवा, जैन धर्मनी अने जैनोनी उन्नति माटे प्रथम साधुओनी एकता थी जोइए अने तेओने माटे कॉन्फरन्स भरवा, दरेक गच्छमां एक या बे पन्यासजी नीमा अने तेमने सर्टिफिकेट आपवा, साधुओना पुस्तको संघनी पासे राखवा, श्रावको माटे जैन कलाभुवनो खोलवा, लूला, लंगडा अने आंधळा माटे
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