Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari

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Page 199
________________ भलामण ए कोइने भलामण नहि एबुं" परिणाम आवे छे अने ते काम उपाडी लेवा कोई बंधायेलं होतुं नथी. तेथी कॉन्फरन्से ज प्रान्तिक अने स्थानिक समितिओनी एक व्यवस्थित हारमाला ऊभी करवी जोइए जे कॉन्फरन्सना. ठरावोनो अमल करवा पूरतो परिश्रम करे. कॉन्फरन्सना ठरावोनो अमल न थाय तो एनी प्रगति शी रीते संभवे ? कोई पण संस्थाना सुचारु संचालन माटे संस्थानी आर्थिक ..सद्धरता जरूरी छे. नाणांनो प्रवाह वहेतो नथी तेथी कॉन्फरन्सनी स्थिति संगीन बनती नथी अने स्थिति संगीन नथी माटे नाणांनो प्रवाह वहतो नथी. आ एक विषचक्र छे. संस्थान कार्य वेगी चाले अने कार्य चाले छे ए समाजना ध्यान उपर आवे तो नाणां जरूर मळवानां छे. निष्ठावान कार्यकरोने नाणांनी तूट कदी पडती नथी. केवळ श्रीमंतो उपर ज संस्थाओनो बोजो न पडवो जोईए अगर श्रीमंतो उपर ज आधार राखती कोई पण संस्था न बनवी जोईए. विशाळ मध्यम वर्गनी दानशक्ति अने भावनाने पण तक आपवी जरूरी छे. चेतनवंती अने चिरायु बनवा मागती संस्थाओ माटे आम जनतानुं विशाळ दानक्षेत्र अणखेडायलुं रहेवू न जोइए. केळवणीप्रचार अने बेकारीनिवारणनी योजनाओ अमलमां आवी त्यारथी स्थानिक समितिओए आ क्षेत्रनो लाभ लेया मांड्यो छे ए आनंदनो विषय छे. विवादग्रस्त विषया अने ठरावो पण संस्थाना विकासनी आडे आवे छे. परंतु केटलीक वखते एबुं बने छ के विषयो के ठरावो विवादग्रस्त नथी होता छतां तेने हित धरावता पक्षो विवादग्रस्त Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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