Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari

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Page 212
________________ २०३ आपणे सर्व काई साध्य करी शीशुं अने जैन संस्कृतिनी सुवास साराये जगतमा फेलावी शकशिं. जैन समाजना सर्वदेशीय अभ्युदय माटे कॉन्फरन्सने मजबूत बनाववानी जरूर छे. संप अने संगठन द्वारा आपणे तेने एवी मजबूत बनाववी जोईए के जैन समाजने माथे आफत तोळाती होय त्यारे तेनी हाकले नवजुवानो आहुति आपवा दोडी आवे. ते दिवसे ताकात नथी कोईनी के कॉन्फरन्सना बोलने अवगणी शके. कॉन्फरन्सने माटे अने जैन समाजने माटे ते दिन सुवर्णनो हशे. ___ कॉन्फरन्से छेल्ला सत्तावन वर्षमा कर्यु छे तेथी वधु घणुं बधुं करवानुं छे. संभव छे के आपणा मार्गमां कांटा, कांकरा आवे, आशा ने निराशानी पळो आवे, छतां आपणे आपणुं कर्तव्य कर्ये जवानुं छे. फळनी अपेक्षा राख्या सिवाय फरज बजाववानो, पुरुषार्थ करवानो अधिकार आपणो छे. परिणामनी चिंता राखवानी जरूर नथी. Let us be then up and doing, With a heart for any fate, Still achieving, still pursuing, Learn to labour and to wait. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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