Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari

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Page 201
________________ एटलुज नहि पण अमुक काळे ते निःसहाय दशा भोगवतो होय एचो देखाव कर्यो. परिणामे कॉन्फरन्स पण निःसहाय दशाने पामी. है। समाजमा ऐक्यनी, संपनी अने संगठननी खामी छे तेम छतां पंण कॉन्फरन्स रचनात्मक कार्यक्रम वधु ने वधु अपनावे अने पूरतो लोकसंपर्क जाळवे तो कॉन्फरन्सर्नु भावि उज्ज्वळ छे एमा शंका नथी. समाजे पण ऐक्यतुं महत्त्व समजी समाजना सर्वदेशीय अभ्युदय माटे कॉन्फरन्सने बळवान बनावधानी जरूर छे कारण के आजे विश्वमा तेमज देशभरमां विज्ञाननी नवी नवी सिद्धिओना कारणे, राजकीय प्रवृत्तिओ अने पलटाओना कारणे, नवा नवा कायदाओना नियंत्रगोने कारणे, तेमज जमानाओ अने युगोथी चाच्या आवता सामाजिक माळखा, रहेणीकरणी अने आदर्शो उपर थई रहेला कुठाराघातोना कारणे जे जब्बर परिवर्तननां बळो कार्य करी रहेला छ तेनाथी कोई पण समाज अलिप्त रही शके तेम नथी. ते बधानी वच्चे टकवा माटे समाज सुव्यवस्थित अने सुसंगठित होवो जोई शे. खास करीने अल्पसंख्यक जैन समाज माटे आ खूब ज जरुरी छे: अतिविशाळ अनुयायीओ धरावतो बौद्ध धर्म भारतमाथी नाश पामी गया, त्यारे प्रमाणमां अल्प संख्या धरावतो जैन धर्म टकी रह्यो तेनुं कारण तेनी संघशक्ति, ऐक्य अने द्रव्य,क्षेत्र, काळ, भाव अर्थात् समयने धनुरूप पलटनशक्ति छे. आजे जैन समाजने माटे पुन: ए शक्तिओ बतायवानो समय आवी लाग्यो छे, अने सर्व रीते कॉन्फरन्स ज तेनुं वाहन थवाने योग्य छे, कारण के साराये समाजना प्रश्नो माटे अन्य कोई :अखिल भारतीय संस्था नथी. तेनी केटलीक नबळी कडीओ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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