Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari

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Page 192
________________ प्रकरण अमुं. कॉन्फरन्सना विकासमां वेग अने मंदताना कारणोनी संक्षिप्त समीक्षा कॉन्फरन्से पोताना सत्तावन वर्षना दीर्घ जीवनमा अनेक लीलीसूकी जोई छे. कोई वखते तेनो सूर्य मध्याहे तपतो देखाय छे तो कोई वखते आथमता सूर्य जेवी तेनी आमा जणाय छे.... पांचमी अमदावाद कॉन्करन्सना स्वागतप्रमुख नगरशेठ चीमनभाई लालभाईए पोताना स्वागत प्रवचनमां कडं हतुं तेम, "आ कॉन्फरन्स ए प्राचीन अने नवीन बन्नेना संगमरूप छे. जूनामां जे आवकारदायक होय ते राखी, नवामां जे इष्ट होय तेनुं ग्रहण करी आगळ वधवामां ज आपणी उन्नति समायेली छे." कॉन्फरन्से ज्यारे ज्यारे आ नवाजूना वच्चेनी समतुला गुमावी छे त्यारे त्यारे तेने आचको लागेलो छे. : शरूआतना वर्षोमां फलोधीथी मांडी लगभग पुना अधिवेशन सुधी कॉन्फरन्स, कार्य पुरबहारमा चाल्यु. तेणे समाजमां नवजागृति आणी. विचारवातावरणमा मोटो फेरफार कर्यो. समाजनी समस्याओ अने सळगता प्रश्नो उपर तेणे साराये समाजनुं ध्यान केन्द्रित कयु. आखा भारतवर्षनो जैनसमाज एक थवो जोईए, एक होवो जोईए एवी विशिष्ट भावनाने तेणे जन्म आप्यो. संघबळy महत्त्व तेणे समजाव्यु. समाजना अभ्युदय माटे शुं जरूरी छे तेनो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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