Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari

View full book text
Previous | Next

Page 194
________________ १८५ ( ५ ) तेना जनरल सेक्रेटरीओ अने प्रान्तिक सेक्रेटरीओ कॉन्फरन्सना कार्यने वेग आपवा तनतोड महेनत करता हता अने सारो आत्मभोग आपता हता. (६) तेणे जीवदया, पुस्तकोद्धार, जीर्णोद्धार, निराश्रित मदद, केळवणीसहाय, भंडारोनी टीप, जैन डिरेक्टरी, उपदेश, हिसाब तपासणी, वगेरे समाजना प्राणप्रश्नांने उकेलवा सारो प्रयत्न कर्यो हतो. (७) उपदेशको, प्रचारको अने जैन हैरोल्ड द्वारा तेणे समाजसंपर्क जाळवी राख्यो हतो. (८) शरूआत मां मोटा आकर्षक अने भमकादार अधिवेशनों थयां हतां अने तेणे साराये समाजनुं चित्ताकर्षण कर्यु हतुं. (९) कॉन्फरन्स एक नूतन प्रकारनी नवयुगने अनुरूप संस्था होइ ते प्रत्ये लोको सारी रीते खेंचाता हता. (१०) कॉन्फरन्सनुं नेतृत्व एवी व्यक्तिओना हाथमां हतुं के जे समाजमां भारे प्रतिष्ठा अने मोभो धरावती हती अने जेमनी लागवग सरकार दरबारमां पण सारी हती. धीमे धीमे लोकोनो उत्साह मंद पडतो गयो तेम तेम कॉन्फरन्सना कार्यमा शिथिलता आवती गई. केटलांक स्थळोएथी अंदरखानथी संस्थानी उपयोगिता ओछी करवानो प्रयास शुरूआतथी ज चाली रह्यो हतो. केटलांक स्थापित हितो तेना तरफ शंकानी नजरथी जोतां हतां, केटलाक तेनी प्रगतिमां पोतानो उत्कर्ष अटकी जतो. 2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216