Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari

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Page 187
________________ १७८ साथेनुं एक विद्यामंदिर जेमा पुरातत्त्व- तेम ज शोधखोळर्नु (Research) कार्य थई शके ते तथा युनिवर्सिटीना अर्धमागधी अभ्यासक्रम माटे सहाय मळे अने जेमां अभ्यासीओना अभ्यास दरम्यान तेम ज अभ्यास पछीना निर्वाहनी योजनापूर्वक ऊच्च अभ्यास माटे संस्कारी वातावरण होय तेम ज जेनी द्वारा गुजराती, हिन्दी, प्राकृत, संस्कृत, पुरातन तेम ज अद्यतन साहित्यनो संग्रह, प्रचार अने प्रकाशन थाय तथा तत्त्वज्ञान, इतिहास अने क्रियानी रुचिकर चर्चा तथा व्याख्यानो थाय तेवू एक सुंदर केन्द्रस्थ स्थान कोई महान ज्योतिर्धरना ..... नाम साथे जोडाई स्थपाय ए आवश्यक छ एम आ कॉन्फरन्स माने छे." __(सोळमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव ८मो) २१. जैन साहित्य “ विशिष्ट संस्कृत, प्राकृत जैन साहित्यने सादा आकारमा प्रकट - करवा तेम ज प्राचीन जैन साहित्य (रासो, स्तवनो, सज्झायो, पदो, लावणीओ, गहुलीओ, ढाळो, पूजाओ, प्रभातियांओ वगेरे ) ने व्यवस्थित -रीते छपाववा, तेमां ग्रंथकारना उपलब्ध चरित्रनी नोंध करवी अने साहित्यनो विस्तार बताववा ग्रंथकारवार, सैकावार, विषयवार, साहित्य पर नोंध कराववानी आवश्यकता तरफ आ कॉन्फरन्स खास ध्यान खेंचे के अने जैन साहित्यनो इतिहास दरेक भाषामा प्रकट करी ते नी विपुलता पर विद्वद्वर्गर्नु ध्यान खेंचे तेवी साधनसामग्री जनता तरफ घरवानी आवश्यकता अ। कॉन्फरन्स स्वीकारे छे अने प्राथमिक पगला तरीके पंडित बीरविजयजीनी सकल कृतिओना संग्रहयोग्य समालोचनावाळी प्रस्तावना साथे प्रकट करवो अने त्यार पछी उत्तरोत्तर तेवा प्रकारचें साहित्य प्रकट करवा अने ते कार्यनो अमल करवा धार्मिक साहित्यना पांच ऊंडा अभ्यासीओनी प्रकाशन समिति नीमवा स्थायी समितिने भलामण करे छे. ( सोळमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव ९मो) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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