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(४) तहन बेल्ली अने नवी उपयोगी विवेचनात्मक पद्धतिए मूळ पुस्तको
छपाववां. (५) पसंद करेला खास पुस्तकोनो लोकभाषामा अनुवाद करवो. (६) प्राचीन अने अर्वाचीन साहित्यना उंडा अभ्यासथी महत्त्वपूर्ण
नव साहित्य प्रचलित भाषामां रच. ८. जन दर्शनना रहस्योनो एक जग्रंथ
(चौदमुं मुंबई अधिवेशन ठराव १८मांथी ) आ अधिवेशने एवो पण ठराव कर्यो के,
- "आपणामां एके पारिभाषिक कोश नथी जेनी सहायथी जिज्ञासुओ आपणा धर्मग्रंथो तथा दार्शनिक ग्रंथोनो सरळताथी अभ्यास फरी शंके; माटे तेवो ग्रंथ तेम ज गुजराती, हिंदी आदि देशी भाषामां एक एवो संपूर्ण ग्रंथ नथी के जे एक ज ग्रंथना वांचनथी जिज्ञासु जैन दर्शननां रहस्यो योग्य रीते समजी शके; माटे तेवो ग्रंथ विद्वानो पासे लखावी प्रकट करवानी अति आवश्यकता छे." .
( चौदमुं मुंबई अधिवेशन ठराव १८मांथी) ९. बनारस विश्वविद्यालय अने जैन चॅर . कॉन्फरन्सना अगत्यना ठरावोमां जैन संस्कृतिनी रक्षा अर्थेनो
जैन चरनो ठराव अति अगत्यनो कही शकाय. ............ " बनारस हिंदु युनिवर्सिटीमा जैन चर स्थापवा माटे कलकत्तानी
बेठक वखते थएला ठराव तथा स्टेडिंग कमिटीए नीमेली पेटाकमिटी. ..:. ओना रिपोर्ट अने सदरहु युनिवर्सिटी साथे थयेल पत्रव्यवहार वगेरे
ध्यानमां लई आ कॉन्फरन्स ठरावे छे के निश्चित थयेछी शरतो प्रमाणे
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