Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari

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Page 169
________________ १६० परंपरागत श्रद्धा उपर पडेला घा अने बुद्धिनी प्राधान्यता आ सर्वना आघातो अने प्रत्याघातो कॉन्फरन्सनी विचारसरणी उपर पड्या छे. वळी जे ते वखतना समाजनी जागृति के नवळाइना पडघा पण तेना ठरावोमां ऊठे छे. आ बधुं लक्ष्यमा राखी कॉन्फरन्सना ठरावोन हार्द समजवामां आवशे तो तेनी पाछळनो आशय सहज स्पष्ट थई जशे. ... कॉन्फरन्सना केटलाक ठरावो कोई पण प्रकारना विवादी पर रह्या छे तो केटलाक उग्र विवादनो विषय बन्या छे. आम छतां ते दरेकनी पाछळ कॉन्फरन्सनी दृष्टि समाज अने धर्मनी सेवानी ज रहेली हती ए न भूलQ जोईए. आपणे तेना केटलाक अगत्यना ठरावो तपासी जईशं. १. केळवणी धार्मिक तथा व्यावहारिक ____ कॉन्फरन्सनी स्थापना थई ते समये जैनसमाजनी आर्थिक जाहोजलालीनो हास शरु थइ चूक्यो हतो. तेनो व्यापारधंधो पडी भागवा मांड्यो हतो. तेम छतां व्यापारप्राधान्य जीवनने कारणे जैनसमाज केळवणीमा पछात रह्यो हतो. जैन समाजे अन्य समाजोनी हरोळमां पोतानुं स्थान टकावी राखवा केळवणीमा आगळ वधq जोईए ए सत्य समाजना नायकोने बराबर समजायुं हतुं. तेथी कॉन्फरन्सना स्थापनाकाळथी ज तेणे केळवणी उपर भार भूक्यो हतो. ... "अपनी जैनकोम केलवणी संबंधमें बहुत पीछे है इस खाते में इसको आगे बढाने के लिये जैनवर्गके आगेवान गृहस्थो को योग्य प्रयास । करना चाहिये. (फलोधी अधिवेशन, ठराव ३जो ). Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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