Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari
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प्रकरण ६ढ़ कॉन्फरन्सना अगत्यना ठरावोनुं विहंगावलोकन
कॉन्फरन्स साराये भारतवर्षना जैनसमाजनुं प्रतिनिधित्व धरावनारी संस्था छे. आखाये समाजना नामे बोली शके तेवी बीजी कोई संस्था जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाजमां नथी. तेनो उज्ज्वळ भूतकाळ अने सत्तावन वर्षनी समाजहितनी सुदीर्घ कार्यवाही तेना आ दावाने टेको आपे छे. साराये समाजनी संस्था तरीके तेणे साराये समाजनुं हित लक्ष्यमा राखवु जरुरी छ अने राख्यु पण छे. तेणे समाज पासे जे विचारो मूक्या छे, जे ठरावो कर्या छ अने समाजने जे दोरवणी आंपी छे तेनुं मूल्य तेनी आ समस्त समाजलक्षी व्यापकताने नजर समक्ष राखी मूलवq घटे छे. समाजमां जुदा जुदा विचारोवाळी अनेक व्यक्तिओ वसे छे; समाजमां अनेक परिबळो कार्य करी रहेलां होय छे. परस्परविरोधी तत्त्वो, आदर्शनी अथडामणो, काळबळथी थता फेरफारो अर्थात् द्रव्य, क्षेत्र, काल अने भावना संयोगानुसारनां परिवर्तनो ए सर्व बच्चेथी मार्ग काढी सौनो समन्वय साधी कॉन्फरन्स जेवी संस्थाओए आगळ वधवान होय छे. तेथी तेना विचारो के ठरावो कदि उग्र तो कदि मोळा पण लागे. सुधारकने तेमां जूनवाणीपणुं लागे अने जूनवाणीने तेमां उग्रता लागे. धर्म अने समाज वच्चेनो नाजुक संबंध, स्थाषित हितोनी पकड, समाजनुं साहजिक रुढिचूस्तपणुं अने नवयुगनां प्रगतिशील बळोनी दोड, पश्चिमनी केळवणीथी
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