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केळवणी प्रचारनी आ योजना सं. १९९३थी अमलमां आवी छे जे आज पर्यंत चालु छे. केन्द्र तथा जुदी जुदी स्थानिक समितिओनी मळी आज सुधीमां लगभग बे लाख रुपियानी मदद केळवणी खाते अपायेली छे. कॉन्फरन्सनी आ सिद्धि जेवी तेवी न कहेवाय. स्त्रीकेळवणी प्रत्ये कॉन्फरन्सनु दृष्टिबिन्दु हमेशां प्रगतिशील रह्य छे. तेथी आ योजनानो लाभ कन्याओने पण पूरता प्रमाणमां मळे छे. ए याद राखवू घटे छे के कॉन्फरन्स कन्याकेळवणी उपर शरुआतथी ज भार मूकी, ते माटे वखतोवखत ठरावो करी समाजनुं ध्यान दोरती रही छे. आ योजनानुं बीजं एक महत्त्वनुं परिणाम ए आव्यु के स्थानिक समितिओ जे रकमो एकत्र करे छे तमा श्रीमंतो उपरांत मध्यम वर्गना अनेक भाईबहेनोनो फाळो होय छे. आ रीते कॉन्फरन्स एक विशाळ वर्गनी श्रद्धा अने सेवार्नु पात्र अने वाहन बनी गई छे. दर वर्षे फाळा माटे समाज पासे जवान होई स्थानिक कार्यकर्ताओ लोकसंपर्क पण सारी रीते जाळवी शके छे.
सत्तावन वर्षना कॉन्फरन्सना सतत प्रयासोना परिणामे समाजमां विद्यानी आवश्यकतानी जे हवा जामी तेना परिणाम जैन समाज आजे केळवणीमां मोखरे आवी गयो छे. एक सुशिक्षित अने केळवायेला समाज तरीके ए अभिमान लई शके तेम छे. आजे पुरुषोमां तेम ज बहेनोमां साक्षरताना प्रमाणमां निरक्षरतानुं प्रमाण घणुं जूज रहयुं छे. फरजियात प्राथमिक केळवणीनी सरकारी नीतिए पण साक्षरताने वेग आप्यो छे, छतां माध्यमिक अने उच्च शिक्षण वाबतमां आपणा समाजनां संख्याबंध छात्रालयो, गुरुकुळो
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