Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari
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१४९ :: कॉन्फरन्स हेड ऑफिसर्नु कार्य उत्तम पद्धतिथी चलाववा सारु ता. २३-५-१९०८ना रोज मुंबईमां वसता जुदा जुदा गृहस्थोनुं एक एडवाइझरी बोर्ड-सलाहकार मंडळ नीमवामां आव्यु हतुं. तेमां ११ ऑफिसियल मेम्बरो अने १० विभागी मेम्बरो हता. जे गृहस्थोए मुंबईनी ऑफिसने अंगे ऑनररी अगर पगारदार सेक्रेटरीओ तरीके कार्य बजावेलुं होय तेमने ऑफिसियल मेम्बरो गणवामां आवता हता अने हिंदुस्तानना जुदा जुदा विभागना मुंबईमां वसता बंधुओ पैकी दरेक विभागवार एक एक उत्साही अने लायक गृहस्थने विभागी सभ्य तरीके लेवामां आव्या हता. आ सलाहकार मंडळे पोताना माटे नियमो नक्की कर्या हता, तेम ज कॉन्फरन्से उपाडी लीधेलां कार्यो पैकी एक पछी एक कार्य हाथमां लईने तेनो जलदी अमल थवा दरेक कार्य दीठ एक एक सबकमिटी मुकरर करी हती. आ व्यवस्थाथी कॉन्फरन्सन कामकाज घणा ज उत्साहपूर्वक अने कार्यक्षमताथी चालतुं हतुं.
सातमी जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्सन अधिवेशन पूना शहेरमा सं. १९६५ना जेठ मासमां भरवामां आव्युं हतुं. ते प्रसंगे जैनकोमनी केळवणीना सवाल प्रत्ये बहु लंबाणथी चर्चा करवामां आवी हती अने ते संबंधे एक लंबाण ठराव घडी काढवामां आव्यो हतो. ए ठरावमां बतावेली केळवणीने लगती अनेक बाबतोने व्यवहारु आकारमा मूकवा अने तेने माटे योजनाओ तैयार करवा एक केळवणी बोर्ड स्थापन करवानो निर्णय लवायो हतो. ते प्रमाणे श्री जैन एज्युकेशन बोर्डनी स्थापना थई. ए हकीकत रसप्रद छे के पितृसंस्था कॉन्फरन्स, पोतानुं व्यवस्थित बंधारण घडाता पहेलां
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