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अपूर्व श्रद्धा, अदम्य उत्साह, अजोड धगश अने निःसीम मनोबळथी शुं करी शके छे तेनु प्रशंसापात्र दृष्टान्त आ अधिवेशने पूरुं पाड्युं.
इतिहासमां सुवर्णाक्षरे अंकित थयेला आ प्रथम अने मंगळ अधिवेशनमां समाजनी आगेकूचनी नोबतो गडगडती नथी संभळाती शुं !
aj अधिवेशन - मुंबई
फळदाइ फलोदी पार्श्व करी, आदि ने द्वितीय मुंबानगरी " पालीताणामां भरवा नक्की थयेलुं अधिवेशन, श्री पालीताणा दरबार साथ केटलीक बाबतो संबंधी झघडो चालतो होवाथी, त्यां भरवानो विचार मांडी वाळवामां आग्यो अने अमदावाद खाते आगेवान जैनोनी मळेली सभामां मुंबईमां. बीजी कॉन्फरन्स संवत १९५९ना भादवा वद १३-१४ अमास ता. १९ २० २१ सप्टेम्बर सने १९०३ना दिवसोमां भरवानो ठराव करवामां आव्यो. ते वखतना जैन समाजना जाणीता' आगेवान अने जैन बंधुओनी उन्नति माटे तन, मन अने धनथी महेनत करनार शेठ श्री वीरचंद दीपचंद सी. आई. इने स्वागतप्रमुख तररीके, शेठ फकीरचंद प्रेमचंद रायचंदने चीफ सेक्रेटरी तरीके अने कलकत्तानिवासी राय ब्रदीदासजी कालीदास बहादुर नामदार बॉईसरॉय साहेबना मुक्कीम अने झवेरीने प्रमुख तरीके चूंटी काढवामां आव्या हता. तेमणे पोताना माननीय प्रवचनमां जणाव्युं के,
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एक आदमी अपनी शक्तिसे सातों क्षेत्रोंका संरक्षण नहीं कर सकता, यह कार्य समुदाय से ही हो सकता है । इस वास्ते इन
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